सराहनीय: कोविड में पाइनग्रोव स्कूल ने जैविक सब्जियों का उत्पादन कर पेश की नई मिसाल

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भाविता जोशी। सोलन

शिवालिक पहाड़ियों को शांत गोद में स्थापित प्रदेश के प्रतिष्ठित पाइनग्रोव स्कूल का कोई सानी नहीं है। वर्तमान परिपेक्ष्य में पाइनग्रोव स्कूल अपने भीतर तीन दशक का संघर्षपूर्ण इतिहास संजोए हुए है। जटिल संघर्ष और चौकड़ी भरती प्रतिस्पर्धा की दौड़ में भी इस स्कूल ने अपनी गरिमा को बनाए रखा है। अपनी स्थापना के लगभग 30 वर्षों के लम्बे इतिहास में पाइनग्रोव स्कूल न जाने कितने ही उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरता रहा, लेकिन इस स्कूल के कुशल प्रबंधन ने अपने बुलंद हौंसलो को कभी पस्त नहीं होने दिया। यदि कहा जाए कि जिला सोलन में बीते सदी वर्षों के भीतर शिक्षा क्रांति का सूत्रपात हुआ है तो इसमें जरा भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। कोविड के चलते पाइनग्रोव स्कूल का कैंपस जो सुबह से शाम तक छात्रों की हंसी, खेलकूद और हलचल से भरा रहता, पूरी तरह से खामोश था।

गत दो वर्षों में कोविड के चलते पाइनग्रोव स्कूल के गलियारों, खेल के मैदानों और डार्मिटरी में एक असामान्य और असहज शांति ला दी थी। लाकडाउन मासकिंग, सोशल डिस्टेन्स और क्वारंटाइन ही ऐसे शब्द थे जो बोलने और सुनने को बचे थे, चाहे वह सोशल मीडिया हो, अन्तराष्ट्रीय मंच हो या ड्राइंग रूम। हालांकि, इस तरह की भयानक आशंकाएं और घृणित विचार सामने आए होंगे। लेकिन मानव जाति पहले से कहीं अधिक मजबूत और बेहतर हुई है। सिलसिला पाइनग्रोव स्कूल में भी जारी रहा।

इसी तरह कोविड ने भी मानव जाति को कई कहानियाँ छोड़ दी हैं। कई इतनी सुखद नहीं हैं लेकिन कुछ बहुत ही दिल को छू लेने वाली हैं। जैसा कि अपेक्षित था, 2020 पाइनग्रोव स्कूल की कई परिकल्पित योजनाएँ स्थगित हो गई। इसके साथ-साथ निर्माण के लिए निर्धारित भूमि को उजाड़ छोड़ दिया गया, क्योंकि सभी योजनाओं को अनिश्चित काल के लिए कोविड के कारण स्थगित करना पड़ा। जहाँ-चाह वहाँ -राह की लोकोक्ति पाइनग्रोव स्कूल ने सही साबित की।

कोविड के समय पाइनग्रोव स्कूल कैंपस में रहने वाले कर्मचारियों ने जैविक सब्जियां उगाने के लिए मेहनत की कचरा प्रबंधन में जहाँ स्कूल गत चार वर्षों से सराहनीय कार्य कर रहा था। वहीं कोविड ने इस कार्य को अगले मुकाम तक पहुंचाने एवं जागरूकता फैलाने का काम किया है। स्कूल के बाहर सरकारी कचरा डंपिंग साइटों पर कुछ भी न भेजकर इस विचार को अमल में लाने के लिए समय भी नहीं गवाया। जैसा अनुमान लगाया था वैसा ही हुआ।

पाइनग्रोव स्कूल के कर्मचारियों ने परिसर में उत्पन्न बाद संसाधनों का उपयोग भी सुनिश्चित किया और जैविक सब्जियों का उत्पादन करके लगभग दो वर्षों तक एक नई मिसाल पेश की।
कचरे का अनुकूल निपटान, ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में उपचारित जल हो, कचरा प्रबंधन हो या जैविक खेती, पाइनग्रोव स्कूल ने कोई कमी नहीं छोड़ी। कोविड के समय एक शैक्षणिक संस्थान के लिए इसकी शरुआत थी। यह एक वृत्ताकार अर्थव्यवस्था का आदर्श उदाहरण है जिसे हम सरल और विनम रूप में अपने व्यवहार में ला सकते हैं। पिछले दो वर्षों में कर्मचारियों ने प्याज, आलू, टमाटर, लौकी, बीन्स, शिमला मिर्च, करेला, भिंडी, कददू और सर्दियों की चटपटी सरसों का अच्छे ढंग से स्कूल परिसर में इनका उत्पादन किया गया और उन्हें बाजार से सब्जियां मंगवाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। जहाँ स्कूल के छात्रों के लिए यह एक प्रायोगिक उदाहरण है। यही मानवता के लिए मिसाल भी है कि मुसीबतें सफलता के द्वार भी खोलती हैं।