ममता ठाकुर की ओर से “उम्मीदवार” पर लिखी गई यह कविता, आप भी पढ़िए

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। पांच साल की तो बात हैं,
इस बार नाव पार लगा दो न।
नतमस्तक हूं जनता के आगे,
कुर्सी के दर्शन करा दो न।
समाजसेवी, अनुभवी, ईमानदार और जुझारू हूं,
इन शब्दों की महत्ता तो बता दो न।
साथ चाहिए विकास का वादा हैं,
वादे की कीतम तो बता दो न।
हर चैखर, हर गली नाप ली हमने,
अब तो जीत का भरोसा दिला दो न।
एक बार जीत तो जाएं,
फिर पांच साल ढूंढ के दिखा दो न।
पैसा, शराब भी हैं, नारा ही तो लगाना हैं,
संविधान का अर्थ तो समझा दो ना।
झूठे आश्वासन देता हूं मुर्ख भी बना लेता हूं,
पर ईमानदार हूं यह सबको समझा दो ना।