कहा…. गांव में भी लोगों को कानूनी सलाह देने के लिए चार महिला काॅन्सटेबलों को किया जाएगा नियुक्त
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। ग्रामीण परिवेश में रहने वाली महिलाएं सशक्त हों तथा अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो, इसके लिए लोगों में चेतना पैदा करना अत्यंत आवश्यक है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. डेजी ठाकुर ने बीते वीरवार को शिमला जिला पुलिस द्वारा अंर्तराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस के अवसर पर ठियोग में आयोजित महिला सशक्तिकरण जागरूकता एवं परस्पर संवाद हेतु ‘‘जागृति अभियान’’ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यह विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि अंर्तराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके योगदान को सम्मान प्रदान करना है तथा अन्य के साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए निरंतर कार्य करने का संकल्प यह दिवस दिलाता है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण तथा अधिकारों के प्रति विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित की गई है, जिससे महिलाएं आर्थिक व सामाजिक तौर पर सुदृढ़ हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा महिला सशक्त योजना लागू की गई है, जिसके तहत ग्रामीण स्तर पर महिला शक्ति केन्द्र खोले गए हैं, जिससे महिलाएं आर्थिकी के साथ-साथ स्वावलंबन होंगी।
उन्होंने कोरोना संकटकाल के दौरान शहरों के साथ-साथ ग्रामीण स्तर पर कार्य करने वाले महिला मण्डलों, स्वयं सहायता समूहों द्वारा जरूरतमंद लोगों को मास्क की उपलब्धता तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता के लिए किए गए कार्य की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी तथा आशा वर्करों द्वारा अपनी जान की परवाह न करते हुए भी घर-घर जाकर मास्क व सैनेटाईजर प्रदान करना और पीपीटी किट के माध्यम से कोरोना टेस्ट करने जैसे साहसिक कार्य किए गए।
उन्होंने पुलिस विभाग द्वारा आयोजित इस महिला जागृति अभियान की सराहना की। उन्होंने बताया कि इसके तहत चार महिला काॅन्सटेबलों को नियुक्त किया जाएगा, जो विभिन्न गांवों में जाकर वहां लोगों विशेषकर महिलाओं को कानूनी सलाह देने का अभियान चलाएंगी। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से जहां लोगों को कानूनी प्रक्रिया की जानकारी मिलेगी वहीं कानूनी व अन्य झगड़ों में कमी आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस कार्यक्रम के विस्तार के लिए सामाजिक एवं अधिकारिता विभाग, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग तथा अन्य सम्बद्ध विभागों की सहभागिता भी आपेक्षित रहेगी।
उन्होंने कहा कि इस जागृति अभियान को हम ग्रामीण स्तर पर रहने वाली हर महिलाओं को किसी भी तरह के घरेलू हिंसा तथा किसी भी प्रकार का अत्याचार के विषय में कानूनी जानकारी देकर सशक्त, जागरूक तथा स्वावलंबन बनाकर एक सशक्त समाज में अपनी पहचान, योगदान एवं सहभागिता का दायित्व पूर्ण कर सके।
उन्होंने कहा कि महिला आयोग का प्रयास रहता है कि किसी भी महिला को कहीं भी किसी भी प्रकार का उत्पीड़न न हो, इसके लिए सरकार ने गुड़िया हेल्पलाईन तथा मुख्यमंत्री हेल्पलाईन जैसी सुविधाएं महिलाओं को दी है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए हम सबको एकत्रित होकर इस लक्ष्य में शिमला पुलिस की सहायता करनी चाहिए, जिससे इस जागृति अभियान को पूर्ण किया जा सके।
उन्होंने इस कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए पुलिस अधीक्षक शिमला मोहित चावला का धन्यवाद भी किया।
जिला परिषद सदस्य नीलम सरेक ने कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं ग्रामीण स्तर की महिलाओं तक पहुंचाने के लिए हमें और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि आज का युवा नशे में संलिप्त होता जा रहा है, जिसके लिए युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए माताओं का योगदान जरूरी है।