आईसीडीएस विभाग की ओर से आंगनवाड़ी जाने वाले बच्चो के लिए लॉकडाउन के दौरान किए गए प्रयासों के आने लगे सकारात्मक परिणाम

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विशेषर नेगी

रामपुर/शिमला। लॉकडाउन के दौरान आंगनबाड़ी जाने वाले बच्चों की सुविधा के लिए  सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के सकारात्मक परिणाम आने लगे है । इन बच्चो का  शारीरिक, बौद्धिक ,मानसिक ,रचनात्मक एवं भाषा का विकास  निरंतर होता रहे इसे लेकर  समेकित बाल विकास विभाग की ओर से  वर्क बुक्स छपवा कर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ  के माध्यम से घर द्वार पहुंचा कर दी गई। ताकि आंगनवाड़ी जाने वाले बच्चो को घर पर ही शाला पूर्व शिक्षा मिले।  विभाग द्वारा चलाई गई  गतिविधियां में { ईसीसीई }यानी प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख एवं शिक्षा के अंतर्गत जागरूकता, {आईइसी} सूचना शिक्षा संप्रेषण। इसका मकसद 3 साल से 6  साल तक  बच्चो को  प्रारंभिक शिक्षा यानी  शाला पूर्व शिक्षा की पूरी सुविधा लॉक डाउन में भी देना था।
  इसके अलावा सोशल मीडिया में भी वीडियो आदि के माध्यम से  ज्ञानवर्धक
सामग्री उन तक पहुंचाई गई। ताकि घर में रहते हुए भी आंगनवाड़ी का बच्चा
खेल खेल में  संपूर्ण विकास कर सके । 

इन प्रयासों का आंकलन करने के लिए सभी आंगनवाड़ी केंद्रों  के माध्यम से  बुक्स  एकत्रित  किए  गए और झाकड़ी में एक शिविर आयोजित कर बच्चो के प्रयासों को जांचा गया। इस के साथ साथ यह भी देखा गया कि किस आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा इस दौरान घर घर  जाकर बच्चों को सुविधाजनक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किए गए हैं। बेहतर प्रयास करने वाली  आंगनवाड़ी कार्यकर्ता  को पुरस्कृत किया गया। ताकि भविष्य में उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना तैयार हो।  आंगनवाड़ी पर्यवेक्षिका ज्यूरी वृत  ज्वाला देवी ने बताया कि ग्राम पंचायत झाकड़ी के सभागार में ईसीसीई शिविर आयोजित की गई।  जिसमें 3 से 6 साल के  बच्चे आंगनवाड़ी केंद्र लॉकडाउन के दौरान नहीं आ सकते थे। उन्हें आंगनवाड़ी वर्कर द्वारा  घर द्वार जाकर काम कराया।   बच्चों द्वारा किए गए कार्य को आज जांचा  गया और उसके बाद अच्छा काम करने वालों को पुरस्कृत किया गया।
अजय बदरेल  बाल विकास परियोजना अधिकारी रामपुर ने बताया कि
आईसीडीएस की ओर से शाला पूर्व शिक्षा से संबंधित जागरूकता बारे  शिविर
लगाया गया।  उनका उद्देश्य यह था कि  कि 3 से 6 साल के बच्चों को  खेल
खेल में शिक्षा प्रदान किया जाए। लॉक डाउन के दौरान आंगनवाड़ी केंद्रों
में बच्चों को नहीं लाया जा सकता था। ऐसे माहौल में बच्चों  के विकास में
रुकावट न आये इस लिए  विभाग ने एक्टिविटी बुक्स छपा कर उन के घर द्वार पर
पहुंचाया था ।  इस दौरान  अभिभावकों व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा इन
बच्चों से  गतिविधियां कराई गई और आज बुक्स को यहां ला कर अवलोकन किया
गया और उसके बाद अच्छा काम करने वालों को पुरस्कृत किया गया।
बीरबल कश्यप  उप प्रधान झाकड़ी ने बताया लॉकडाउन के दौरान
को घरों में शिक्षा जो दी गई।  इस से  घर द्वार पर बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास करने का प्रयास हुआ। यह हिमाचल सरकार का सराहनीय प्रयास है। इससे आंगनवाड़ी जाने वाले बच्चों को काफी लाभ हुआ है। ऐसे प्रयास लॉकडाउन में सहायक सिद्ध  हुए।