प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को आत्मनिर्भर व विश्वगुरू बनाने के लिए अध्यात्म को अपनाया -बंडारू दत्तात्रेय

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

गोहाना (सोनीपत)। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने गुरूत्रय महोत्सव महापर्व में हिस्सा लेते हुए भगवान महावीर के पांच सिद्घांतों को अपनाने पर बल दिया, जिनमें सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य व ब्रह्मïचर्य शामिल हैं। इन सिद्घांतों को अपनाकर व्यक्ति एक अच्छा नागरिक ही नहीं अपितु नर से नारायण बन सकता है। उन्होंने मानव कल्याण व मुक्ति के लिए अहिंसा परमोधर्म: तथा जियो और जीने दो का महान संदेश विश्व को दिया। यह संदेश व्यक्ति को किसी देश व क्षेत्र आदि की सीमाओं से ऊपर उठाकर श्रेष्ठï विश्व नागरिक बनाने में सक्षम है।

रविवार को नव वर्ष के मौके पर गांव वजीरपुर स्थित टीपीएस वरिष्ठï माध्यमिक विद्यालय में श्री श्रेष्ठिï प्रकाश मुनि महाराज का 95वां जन्मोत्सव गुरूत्रय महोत्सव महापर्व आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शामिल होकर सेठ गुरूदेव को नमन करते हुए उनका आशीर्वाद लिया। उन्होंने श्रद्घेय गुरू प्रकाशचंद महाराज के जन्मोत्सव की बधाई देते हुए उनकी शिक्षाओं और संदेश के अनुसरण पर बल दिया। साथ ही उन्होंने संत सुदर्शन लाल जी महाराज के जन्म शताब्दी वर्ष तथा सुंदर मुनि जी महाराज के 50वें दीक्षा दिवस के लिए सभी श्रद्धालुगण को शुभकामनाएं दी। यह नव वर्ष और त्रेय महोत्सव आपके और प्रदेशवासियों के जीवन में शक्ति, श्रद्धा और खुशियों का संचार करें।

राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अध्यात्म को अपनाया है। भारतवर्ष सदैव ही विश्व संस्कृति का ध्वजवाहक रहा है। पूरी दूनिया भारत को एक संस्कारित देश के रूप में देखती है। आज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में शांति, सद्भाव और भाईचारा मजबूत हुआ है। यह दूनिया के लिए एक उदाहरण है। इसमें हमारे संत, महात्माओं व धार्मिक तथा सामाजिक संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। मेरा आपसे आग्रह है कि संत परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारतीय संस्कृति व मूल्यों की अविरल धारा को प्रवाहित करते रहना है, तभी भारतवर्ष फिर से विश्व गुरू कहलाएगा।
दत्तात्रेय ने कहा कि सेठ प्रकाश चन्द्र  महाराज तप, त्याग और तपस्या की त्रिमूर्ति हैं। इन्होंने जीवन पर्यन्त भारतीय संस्कृति की शुद्ध विरासत को सहेज कर रखा है। ऐसे महान संत के दर्शन पाकर मैं स्वयं को धन्य महसूस कर रहा हूं। इसी प्रकार सुदर्शन लाल  महाराज, जो हरियाणा की मिट्टी में ही जन्मे थे, उन्होंने अध्यात्म के साथ भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाया और समाज सुधार के कार्य किए। दोनों महान संतों की उन्होंने वंदना की। उन्होंने कहा कि तीर्थकरों, आचार्यों और मुनियों द्वारा स्थापित मूल्यों व सिद्धांतों को अपनाकर ही मानव सभ्यता फल-फूल रही है। यही नहीं उन्हीं मूल्यों को अपनाकर हम वर्तमान में भौतिकवाद का सामना कर सकते हैं। सेठ प्रकाश चंद्र  महाराज जैसे तपस्वी आज के भौतिकवादी वातावरण में त्याग की प्रतिमूर्ति के रूप में विद्यमान हैं। जैन मुनियों व स्थानक का तप-त्याग व आचरण का उदाहरण संसार में कहीं और देखने को नहीं मिलता। उन्होंने आहार, घर-परिवार का त्याग कर सम्पूर्ण देश की अविराम पैदल यात्रा कर धर्म की अलख व अहिंसा की ज्योति जलाई है।

राज्यपाल ने कहा कि जैन मुनियों की शिक्षाओं में ऐसे मानव का निर्माण है, जिसमें आत्मा की शुद्धि प्रमुख है। इस शुद्धि को प्राप्त करने के लिए मानव को घमण्ड, छल-कपट, लोभ-लालच और असत्यवादन का परित्याग करना होता है। ऐसे गुणों से भरपूर नागरिक महान मानव संस्कृति और महान देश का सृजन व पोषण करते हैं। ऐसे ही महामानवों से प्राचीन काल में भारत विश्वगुरू था। समूचे जैन चिंतन व व्यवहार में चरित्र-निर्माण की आवश्यकता को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि धर्म मानव-मानव को जोड़ता है। हर धर्म का ध्येय प्रकृति, पर्यावरण संरक्षण व मानव कल्याण होना चाहिए। आर्य वज्र स्वाध्याय संघ को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि यहां धर्म के प्रचार के साथ-साथ स्वास्थ, शिक्षा और संस्कार निर्माण के लिए अद्भूत कार्य किया जा रहा है।

 

राज्यपाल दत्तात्रेय ने कहा कि आज सबसे बड़ी जरूरत इस बात की है कि हम सब मुनिजनों द्वारा प्रतिस्थापित जीवन मूल्यों और शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाएं। स्वयं इनका अनुसरण करें ताकि एक ऐसे मानव समाज का सृजन हो सके, जिसमे समस्त मानव मात्र धर्म, जाति, समुदाय और क्षेत्र जैसी संकीर्ण भावनाओं से उपर उठकर सुख-शान्ति और अमन-चैन के साथ जीवन यापन कर सकें। जैन मुनि यह काम सदियों से करते आ रहे हैं। इसीलिए अध्यात्म के क्षेत्र में भारत आज भी पूरी दुनिया को राह दिखा रहा है।

 

इस दौरान आयोजकों ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को सम्मानित भी किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री कविता जैन, सेठ गुरूदेव प्रकाश जी महाराज, गुरू रामप्रसाद, गुरू सुदर्शन, गुरू सुंदर, महासाध्वी सुरभि, अरूण कुमार जैन, सेठ संतोष कुमार जैन, पवन कुमार जैन, नप की चेयरपर्सन रजनी विरमानी, इंद्रजीत विरमानी, रामकुमार, गौरीशंकर, एसडीएम आशीष कुमार, तहसीलदार अजय कुमार आदि अधिकारीगण व गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।