थारू समाज पर पुस्तक में प्रकाशित टिप्पणी के खिलाफ जुलूस, प्रदर्शन

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

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रुद्रपुर: इतिहासकार की पुस्तक में लिखी टिप्पणी पर आक्रोश बरकरार है। थारू समाज के वीरता के इतिहास को बदलने की साजिश का आरोप लगाते हुए लोगों ने सोमवार को नगर में जोरदार प्रदर्शन किया। सितारगंज, नानकमत्ता क्षेत्र के दूर दराज के गांवों से पहुंचे लोगों ने मंडी में सभा की। नगर में जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन करते हुए मुख्य चौक पर पुस्तक की प्रतियां फूंकी। तहसीलदार के माध्यम से सीएम को मांग पत्र भेजा। बाद में कोतवाली पहुंचकर इतिहासकार के खिलाफ तहरीर देकर एससी, एसटी एक्ट की धाराओं में केस दर्ज करने की मांग की।

 

मंडी में आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि इतिहासकार की लिखी किताब में अपमानजनक टिप्पणी को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। थारू समाज महाराणा प्रताप के वंशज हैं। महाराणा प्रताप की वीरता के बारे में इतिहासकार को बताना जरूरी नहीं समझते। आरोप लगाया कि बदनीयती से उनका इतिहास बदलने की साजिश है। मंडी से भारी तादात में लोग जुलूस निकालते हुए नगर के मुख्य चौक पर पहुंचे। यहां पुस्तक की प्रतियां जला दीं। कोतवाली पहुंचकर इतिहासकार के खिलाफ तहरीर सौंपी। सीएम को भेजे ज्ञापन में उत्तराखंड का समग्र राजनीतिक इतिहास में थारू समाज पर किये गये अपमानजनक शब्दों को प्रतिबंधित कर पुस्तक से हटाने की मांग की। यहां श्रीपाल राणा, नानकमत्ता विधायक गोपाल सिंह राणा, दान सिंह राणा, अशोक राणा, सुरेश राणा, भुवन राणा, रामकिशोर, धरम सिंह मौजूद रहे।

 

यातायात सुचारू कराने में पुलिस को करनी पड़ी मशक्कत: थारू समाज के विभिन्न संगठनों ने थारू समाज के लोगों को इतिहासकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए मंडी में एकत्र होने की अपील की थी। दूर-दराज से पहुंचे ग्रामीण जुलूस की शक्ल में बाइकों से मंडी की ओर निकले। इससे कई स्थानों पर जाम की स्थिति बनी रही। लोग हाथों में पट्टियां लेकर इतिहासकार के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। कोतवाली प्रभारी प्रकाश सिंह दानू यातायात व्यवस्था दुरस्त करने में जुटे रहे।

 

महिलाओं ने भी विरोध प्रदर्शन में बढ़चढ़ कर लिया हिस्सा: सितारगंज, नानकमत्ता क्षेत्र के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों की महिलाएं भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं। महिलाओं में पुस्तक में लिखी टिप्पणी पर भारी आक्रोश था। जुलूस व प्रदर्शन में महाराणा प्रताप अमर रहे के नारे लगाते रहे। युवाओं ने भी पुस्तक में थारू समाज के इतिहास को बदलने व बदनाम करने का आरोप लगाते हुए इतिहासकार के खिलाफ नारेबाजी की।