मानव स्वास्थ्य और रोग में एमटीओआर सिग्नलिंग पर अध्ययन प्रकाशित
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
सोलन। शूलिनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता, स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज के प्रोफेसर डॉ. दीपक कुमार और उनके छात्र विवेक पंवार ने 40 के प्रभाव कारक वाले प्रतिष्ठित पत्रिका नेचर ”सिग्नल ट्रांसडक्शन एंड टारगेटेड थेरेपी” में एक शोध पत्र प्रकाशित किया। अध्ययन का उद्देश्य एमटीओआर (रैपामाइसिन का स्तनधारी लक्ष्य) सिग्नलिंग मार्ग और मानव स्वास्थ्य और बीमारी में इसकी कई भूमिकाओं के गहन रहस्यों को उजागर करना था, जिसमें कैंसर में इसके निहितार्थ पर विशेष ध्यान दिया गया था। इस पेपर में प्रस्तुत अंतर्दृष्टि कैंसर जीव विज्ञान में एमटीओआर की महत्वपूर्ण भूमिका, वर्तमान चुनौतियों का समाधान करने और चिकित्सीय हस्तक्षेप के लिए इसकी क्षमता की खोज पर प्रकाश डालती है।
इस लेख में उम्र बढ़ने, उम्र से संबंधित तंत्रिका संबंधी विकारों, मधुमेह और मानव घातक बीमारियों में एमटीओआर के महत्व को दिखाया गया है। एमटीओआरसी1 सिग्नलिंग की खोज न केवल जीवन प्रत्याशा बढ़ाती है बल्कि प्रतिरक्षा को भी बढ़ावा देती है, जिससे स्तनधारियों और मनुष्यों में उम्र से संबंधित न्यूरोलॉजिकल विकार, कैंसर और चयापचय रोगों का खतरा कम हो जाता है।
इस खोज पत्र में भारत के अन्य सहयोगी लेखक थे ऐश्वर्या सिंह, मानिनी भट्ट, डॉ. राजीव टोंक, डॉ. आगा साकिब रज़ा, डॉ. शिंजिनी सेनगुप्ता, एमिटी यूनिवर्सिटी से डॉ. मनोज गर्ग।
इस खोज अध्ययन में कैंसर के उपचार के परिदृश्य को बदलने और अधिक प्रभावी और कम विषाक्त उपचारों का मार्ग प्रशस्त करने की क्षमता है। वैज्ञानिक समुदाय उत्सुकता से अनुवर्ती अनुसंधान और नैदानिक परीक्षणों का इंतजार कर रहा है जो निस्संदेह इस उल्लेखनीय सफलता से प्रेरित होंगे।
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