
शिमला: राकेश टिकैत का हिमाचल दौरा राजनीतिक गहमा गहमी से भरा रहा. टिकैत ने शनिवार को प्रेस क्लब शिमला में पत्रकार वार्ता में कई बड़ी बातें कही. किसान नेता राकेश टिकैत ने किसानों के मुद्दों को उठाते हुए केंद्र और राज्य सरकार को टारगेट किया.
राकेश टिकैत ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की राजधानी जितनी ठंडी है, इसे वह गरम करना भी जानते हैं. इसके दिल्ली बनते देर नहीं लगेगी. यहां की सरकार कान खोलकर सुन ले, ये जो कंपनियों से समझौते हुए हैं, उन्हें ठीक से लागू करे, नहीं तो गोदाम फोडे़ जाएंगे तो फिर कहना नहीं. किसान को बस एक फसल की कुर्बानी देनी पड़ेगी. रेट इसलिए गिरे, क्योंकि अदानी ने यहां गोदाम खोले हैं.
राकेश टिकैत ने कहा कि हिमाचल से ही बड़ी कंपनियों ने कृषि क्षेत्र का ताना-बाना बुना. दस साल पहले अदानी ने इसकी शुरुआत हिमाचल में गोदाम बनाकर सेब खरीद से शुरू की. अब देश भर में ऐसा किया जा रहा है. अब दो महीने किसानों के लिए कीमतें कम कर देश में 10 महीने जनता को लूटा जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में रेट गिरने नहीं देंगे. संयुक्त मोर्चा इस मुद्दे को उठाएगा.
टिकैत बोले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वर्ष 2022 में किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी. 2022 के लिए तीन महीने रह गए हैं. मोदी सरकार को बड़ी-बड़ी कंपनियां चलाती हैं. अदानी ने हिमाचल प्रदेश में सेब के रेट 16 रुपये कम कर दिए. जब सरकार पूछती है कि नुकसान क्या है तो किसान बिल में जो कांट्रैक्ट फार्मिंग है, वह यही तो है. किसान को कमजोर किया जा रहा है, ताकि वह अपनी जमीन बेचने को मजबूर हो जाए. सलाह-मशविरा करके ही वह अगला लाइन-ऑफ एक्शन तय करेंगे. प्रदेश का किसान किसी का बंधुआ मजदूर नहीं है, उसे अपनी बात उठानी आती है. यूथ जब ट्विटर पर सक्रिय होगा और ट्रैक्टर चलाना सीखेगा तो यहां आंदोलन होगा.
यहां गांवों में जो एनजीओ बने हैं, उनसे बात करेंगे. वर्ष 2011 में जो सेब का रेट था, आज भी वही है. क्या देश में महंगाई नहीं बढ़ी, क्या पेट्रोल-डीजल, उर्वरकोें और कीटनाशकों की कीमतेें नहीं बढ़ीं. प्रदेश में सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए. यहां से माल बंगलूरू जा रहा है तो परिवहन सब्सिडी दी जाए. उन्होंने कहा कि 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में सम्मेलन होगा. इसमें अगली रणनीति बनाएंगे. एक सवाल के जवाब में टिकैत ने कहा कि हम चुनाव नहीं लड़ेंगे. किसान चुनाव नहीं लड़ता. उन्होंने कहा, किसान बिलों का भरसक विरोध किया जाए.