आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। चंद्र सतह पर कल फिर
सहज ही उतरा जटायू
विक्रम और प्रज्ञान पर उसके
जगत अचंभित, हम नहीं
अंतरिक्ष का तो रहा है
भारत पुरोधा आदिकाल से
जाग गए हम आज फिर से
कर रहे कुछ नया नहीं
संपाती भी सूरज तक गया था
फिर हो रहा तैयार वो
गगनयान ले कर निकल
जाने को अगले मिशन पर वहीं
विश्वामित्र ने तो बना दिया था
आकाश से गिरते त्रिशंकु के लिए
एक जो स्पेस स्टेशन नया
याद किसको है नहीं
अंतरिक्ष और ग्रहों के
आकाश गंगाओं में नहा कर
गणित गणना ज्योतिष सिखाते
आर्यभट्ट भी भूले नहीं