आदर्श हिमाचल ब्यूरों
शिमला| हिमाचल प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में राज्य की लोक संस्कृति और समृद्ध परंपराओं के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में संगठित और व्यापक प्रयास कर रही है। सरकार अब तक 550 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक परियोजनाओं के लिए स्वीकृत कर चुकी है। प्रदेश में 50 करोड़ रुपये की लागत से प्राचीन मंदिरों, किलों और ऐतिहासिक स्थलों का जीर्णोद्धार कार्य प्रगति पर है। वहीं अधिग्रहीत मंदिरों में विभिन्न विकास कार्यों हेतु लगभग 37 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। माता चिंतपूर्णी मंदिर में ‘सुगम दर्शन प्रणाली’ के शुभारंभ के साथ ऑनलाइन लंगर बुकिंग और ऑनलाइन दर्शन जैसी डिजिटल सेवाएं शुरू की गई हैं, जिससे श्रद्धालुओं को विशेष सुविधा मिल रही है। यह प्रणाली शीघ्र ही अन्य प्रमुख मंदिरों में भी लागू की जाएगी।
इस दौरान राज्य सरकार द्वारा धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महत्त्वाकांक्षी योजनाएं भी कार्यान्वित की जा रही हैं। चिंतपूर्णी मंदिर के लिए ₹56.26 करोड़, माता ज्वालाजी और नैना देवी मंदिरों के लिए प्रत्येक ₹100 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है, लगभग ₹250 करोड़ की लागत से चिंतपूर्णी मंदिर में भव्य परिसर का निर्माण भी प्रगति पर है। इसके अलावा, पुजारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं और हाल ही में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के माध्यम से चिंतपूर्णी और नैना देवी मंदिर के पुजारियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण प्रदान किया गया। राज्य की सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण हेतु 11.16 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। छोटे मंदिरों को दी जाने वाली वार्षिक पूजा सहायता को वित्त वर्ष 2025-26 में दोगुना किया गया है। इसके अतिरिक्त, मंदिरों की नियमित पूजा-अर्चना और अधोसंरचना रख रखाव के लिए एक करोड़ रुपये वार्षिक सहायता भी दी जा रही है।
सरकार ने शिमला स्थित ऐतिहासिक बैंटनी कैसल का भी सफल पुनरुद्धार किया है। सितंबर 2023 से यहां लाइट एंड साउंड शो शुरू किया गया है और शीघ्र ही एक डिजिटल संग्रहालय भी स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना के लिए ₹25 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है, परिसर में स्थानीय हस्तशिल्प और व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए ‘पहाड़ी आंगन’ स्टॉल स्थापित किए गए हैं, जो दिल्ली हाट की तर्ज पर पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। राज्य के पांच जिलों में सभागारों का निर्माण पूर्ण हो चुका है, जबकि अन्य ज़िलों में कार्य प्रगति पर है। राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मेलों के आयोजन के लिए वर्ष 2023-24 में ₹66.50 लाख और 2024-25 में ₹1.10 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। वहीं गैर-सरकारी संस्थाओं को सांस्कृतिक गतिविधियों हेतु दो वर्षों में ₹1.28 करोड़ से अधिक की सहायता दी गई है।
हिमाचल राज्य संग्रहालय, शिमला ने जनवरी 2024 में अपने स्थापना के 50 वर्ष पूरे किए हैं। यहां की 28 दीर्घाओं में रखी गई 1500 से अधिक दुर्लभ वस्तुओं की प्रदर्शनी ज्ञानवर्धक और रोचक अनुभव प्रदान कर रही है और साथ ही शिमला म्यूज़िक फेस्टिवल, हिम महोत्सव (दिल्ली हाट) और संस्कृत व टांकरी लिपि पर कार्यशालाएं भी नियमित रूप से आयोजित की जा रही हैं। राज्य सरकार के यह प्रयास सांस्कृतिक संरक्षण, धार्मिक पर्यटन और अधोसंरचना विकास के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं।