आदर्श हिमाचल ब्यूरों
हमीरपुर। प्रदेश के निचले क्षेत्रों में परंपरागत फसलों के साथ साथ नकदी फसलों और बेमौसमी सब्जियों की खेती किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है। हमीरपुर के निकटवर्ती गांव लाहलड़ी के निवासी और शिक्षा विभाग से प्रिंसिपल पद से सेवानिवृत्त कमलेश कुमार पटियाल ने खेती किसानी में नवाचार कर मिसाल पेश की है। उन्होंने रिटायरमेंट के बाद कृषि, उद्यान विभाग और जाइका परियोजना की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर पूरी तरह नकदी फसलों की खेती अपनाई और आज उनकी सब्जियों की मांग स्थानीय बाजारों में इतनी है कि वह हर सीजन में लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं।
इस दौरान कमलेश कुमार पटियाल ने जानकारी दी कि पूर्व में वह पारंपरिक फसलें जैसे गेहूं, मक्की और धान उगाते थे, जिससे उन्हें अपेक्षित आय नहीं हो पाती थी। लेकिन कृषि विभाग के अधिकारियों की प्रेरणा से उन्होंने सब्जी उत्पादन की ओर रुख किया और मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत 80 प्रतिशत सब्सिडी पर खेत की बाड़बंदी करवाई। इसके अलावा सिंचाई के लिए बोरवेल पर 1.52 लाख रुपये का अनुदान और बीज व अन्य सामग्री पर 50 प्रतिशत सब्सिडी प्राप्त की है। उन्होंने बताया कि वह अपने खेतों में करेला, भिंडी, अरबी, कद्दू, लौकी, घीया, खीरा, बैंगन, मिर्च, रामतोरी और टमाटर जैसी अनेक किस्म की सब्जियां उगा रहे हैं, इनकी बिक्री मुख्यतः स्थानीय बाजार और नजदीकी बाइपास सड़क पर हो जाती है।
कमलेश कुमार के अनुसार, सालाना उनकी सब्जियों की बिक्री से लगभग 8 से साढ़े 8 लाख रुपये की आय होती है, जिसमें डेढ़ लाख रुपये तक की लागत को घटाकर उन्हें करीब 7 लाख रुपये की शुद्ध आमदनी होती है। उन्होंने इस सफलता का श्रेय प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और विभागीय सहयोग को देते हुए आभार व्यक्त किया है। उनका कहना है कि यदि योजनाओं का सही तरीके से लाभ लिया जाए, तो खेती भी एक सम्मानजनक और लाभदायक व्यवसाय बन सकती है।