आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों का सहारा है सहारा योजना

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में सहारा योजना आरम्भ कर, आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के उन लोगों को सम्बल प्रदान करने की पहल की है; जो कुछ निर्दिष्ट रोगों से जूझ रहे हैं। ऐसे लोगों की सामाजिक सुरक्षा तथा वित्तीय सहायता के लिए सरकार द्वारा आरम्भ यह योजना वरदान बन कर सामने आई है।
उपायुक्त काँगड़ा राकेश प्रजापति बताते हैं कि आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लोग, जब किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे होते हैं तो उनकी आर्थिक हालत ऐसे नहीं होते कि वे सही ढंग से अपना इलाज करवा पाएं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने ऐसे लोगों को दुःख की इस घड़ी में आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए ‘सहारा योजना’ आरम्भ की है। ज़िला काँगड़ा में वर्तमान में 2,552 पात्र लोगों को इस योजना के अंतर्गत हर माह दो-दो हज़ार रुपये की राशि दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष में अब तक इन लाभार्थियों को लगभग 1.5 करोड़ रुपये की सहायता दी जा चुकी है।
मिस्त्री का काम करने वाले शाहपुर उपमण्डल की ग्राम पंचायत, लपियाणा के विजय कुमार का विवाह आशा देवी के साथ 8 वर्ष पूर्व हुआ था। क़रीब दो वर्ष बाद उनके घर बेटा हुआ, जिसका नाम नितिन रखा गया। दोनों का दाम्पत्य जीवन सुखपूर्वक चल रहा था, और सभी अपने छोटे से परिवार में हंसी-खुशी रह रहे थे। लेकिन मानो कुछ समय बाद उनके हंसते-खेलते परिवार को किसी की नज़र लग गई। विजय को किडनी की बीमारी ने जकड़ लिया। परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा। विजय के सहारे परिवार की आजीविका चलती थीे। उनके बीमार ग्रस्त होने से मानो पूरा घर ही बीमार हो गया। किसी प्रकार विजय का इलाज शुरू हुआ। घर की जमा पूंजी भी उनकी बीमारी में होम हो गई। अभी विजय का इलाज चल ही रहा था कि कुछ समय बाद विजय की पत्नी आशा देवी को ब्लड कैंसर हो गया और उसने भी बिस्तर पकड़ लिया। ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो गया।
विपत्ति की इस घड़ी में हिमाचल प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी ‘सहारा योजना’ इस परिवार के लिये वरदान बन कर सामने आई। जनवरी, 2020 से इन दोनों पति-पत्नी को सहारा योजना के अंतर्गत दो-दो हज़ार रुपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता मिलनी शुरू हुई। अभी दोनों का इलाज चल रहा है। यह दंपत्ति मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आभार करते एवं धन्यवाद करते नहीं थकते। उनका कहना है कि सरकार ने ‘सहारा योजना’ आरम्भ कर हम जैसे ग़रीब तथा असहाय लोगों पर उपकार किया है। अन्यथा ऐसी गम्भीर बिमारियों में हमें अपने परिवार की गुज़र-बसर करना कठिन हो जाता। विजय भावुक होकर कहते हैं कि डूबते को तिनके का सहारा। लेकिन यहाँ तो लगता है कि प्रदेश सरकार ने ‘सहारा योजना’ शुरू कर तिनके के स्थान पर हमें योजना रूपी किश्ती ही भेज दी है, वह भी मांझी के साथ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. गुरदर्शन गुप्ता कहते हैं कि सरकार की इस महत्वकांक्षी ‘सहारा योजना’ के अंतर्गत ग़रीब एवं आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लोग जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय चार लाख रुपये या इससे  कम है, को इस योजना का लाभ मिल सकता है। पार्किंसन, घातक कैंसर, पैरालाइसिस, हीमोफीलिया, मांसपेशियों की डिस्ट्रॉफी, थैलीसीमिया तथा किडनी की कुछ बीमारी या इसी तरह की अन्य बीमारी, जिनसे व्यक्ति बुरी तरह से विकलांग या अपंग हो जाते हैं, से पीड़ित लोग इस योजना के लिए पात्र होते हैं।

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