आनी में धूमधाम से मनाई गई सायर सक्रांति

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पण्डित मोहेंद्र कुमार शर्मा ज्योतिष समाधान और परामर्श
पण्डित मोहेंद्र कुमार शर्मा ज्योतिष समाधान और परामर्श
आदर्श हिमाचल ब्यूरो 
आनी। वर्षा ऋतु की विदाई व शरद ऋतु के आगमन के प्रतीक स्वरूप मनाई जाने वाली सायर संक्रांति बुधवार को आनी में प्राचीन परम्परा अनुसार धूमधाम मनाई गई।  ज्योतिष आचार्य  मोहेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार सायर त्योहार किसानों द्वारा इंद्र व वरुण देवता को अच्छी बारिश के लिए धन्यवाद स्वरूप मनाया जाता है। इस दिन काला महीना समाप्त हो जाता है ! भगवान विष्णु भी पाताल लोक से स्वर्ग लौटते हैं। नवविवाहित दुल्हनें ससुराल लौटती हैं।
इस वर्ष सायर संक्रांति को श्राद्धों के चलते नवविवाहिताएं चार दिन देरी से लौटेंगी।

अखरोट खेलकर मनाई जाती है सायर साजी

 अखरोट को खेलकर सायर साजी मनाई जाती है। मंदिरों में जाकर लोग पूजा-अर्चना करते हैं और अखरोट का खेल खेला जाता है। कांगड़ा-मंडी में ज्यादा धूमधाम से मनाते हैं सायर हिमाचल प्रदेश में इसे सायर,साजा सैरी कहा जाता है। सभी जिलों में इसे मनाया जाता है  । सायर के साथ शुभ कार्यों का शुभारंभ होता है।
: आश्विन संक्रांति, सूर्य कन्या राशि में 16 सितम्बर 2020 को प्रवेश करेंगे । आश्विन संक्रान्ति बुधवार को सांय 19:07 मिनट पर आरंभ । आश्विन संक्रान्ति का पुण्य काल दोपहर 12:43 के बाद से आरंभ होगा ।
इस बार अश्विन माह 4 पक्ष होंगे जो  2 सितंबर से लेकर 31 अक्टूबर तक होगा । 59 दिनों की आश्‍विन माह की अवधि के बीच 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिक मास रहेगा, जिसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस महीने सूर्य संक्रांति नहीं होती, उसमें अधिक मास जुड़ जाता है । 32 माह 16 दिन 4 घंटे बीतने के बाद पुनः पुरुषोत्तम माह आता है ।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर दो साल बाद यानी तीसरे साल में अधिक मास जुड़ता है । सूर्य और चंद्रमा की वार्षिक चाल में 11 दिनों के अंतर को इसका कारण बताया जाता है । सूर्य और चंद्रमा के वर्षचक्र में 11 दिन का अंतर होता है,  हर वर्ष इस 11 दिन के अंतर को तीसरे वर्ष में अधिक मास में दर्शाया जाता है ।
अधिक मास में सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं ।  पुरुषोत्तम मास भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है । इसके अलावा अधिक मास के 33 देवताओं की पूजा का भी बहुत महत्‍व होता है. इस दौरान विष्णु, जिष्णु, महाविष्णु, हरि, कृष्ण, भधोक्षज, केशव, माधव, राम, अच्युत, पुरुषोत्तम, गोविंद, वामन, श्रीश, श्रीकांत, नारायण, मधुरिपु, अनिरुद्ध, त्रीविक्रम, वासुदेव, यगत्योनि, अनन्त, विश्वाक्षिभूणम्, शेषशायिन, संकर्षण, प्रद्युम्न, दैत्यारि, विश्वतोमुख, जनार्दन, धरावास, दामोदर, मघार्दन एवं श्रीपति जी की पूजा की जाती है, जिसका बहुत लाभ मिलता है ।
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 – पण्डित मोहेंद्र कुमार शर्मा
ज्योतिष समाधान और परामर्श
सम्पर्क सूत्र 9418383016