आदर्श हिमाचल ब्यूरों
शिमला| हिमाचल प्रदेश के मत्स्य पालन विभाग को गंभीर रूप से लुप्तप्राय गोल्डन महाशीर के संरक्षण के लिए सफल कैप्टिव प्रजनन योजना के तहत किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रतिष्ठित स्कॉच गोल्ड अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया। गोल्डन महाशीर न केवल हिमाचल की जलीय जैव विविधता का प्रतीक है, बल्कि यह मछली हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश की राज्य मछली भी है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विभाग को इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मान प्रदेश सरकार की जैव विविधता संरक्षण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता और अभिनव रणनीति का प्रमाण है, उन्होंने कहा कि स्कॉच समूह द्वारा दी गई यह राष्ट्रीय मान्यता, गोल्डन महाशीर के संरक्षण के लिए अपनाई गई एकीकृत रणनीति की सफलता को दर्शाती है। इस पुरस्कार को राज्य मत्स्य निदेशक विवेक चंदेल और सहायक निदेशक डॉ. सोमनाथ ने विभाग की ओर से प्राप्त किया।
गोल्डन महाशीर की आबादी में पिछले दशकों में जलविद्युत परियोजनाओं, अत्यधिक मछली पकड़ने और प्रदूषण के चलते भारी गिरावट देखी गई। इसे देखते हुए 2016 में स्थापित मछ्याल महाशीर फार्म को पुनर्जीवित करने के लिए वर्ष 2023 में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में विशेष अभियान चलाया गया। इसके तहत आईसीएआर-सीआईसीएफआर (भीमताल, उत्तराखंड) के सहयोग से वैज्ञानिक सुधार किए गए। प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुए, आहार और रोग नियंत्रण तकनीकों में नवाचार लाए गए, जिससे 2024-25 में 87,000 अंगुलिकाओं का सफल उत्पादन हुआ। इसके अतिरिक्त पहली बार 34,500 अंगुलिकाओं का संग्रहण किया गया, जिनमें से 20,000 को पौंग और 14,500 को गोबिंदसागर जलाशयों में छोड़ा गया। मत्स्य पालन क्षेत्र प्रदेश में करीब 20,000 लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार देता है। वहीं गोल्डन महाशीर एंगलिंग के लिए भी प्रसिद्ध है, वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 3700 से अधिक एंगलर्स ने हिमाचल का रुख किया, जिससे इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिला।
इस दौरान विवेक चंदेल ने जानकारी दी कि विभाग ने मछली उत्पादन में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। वित्त वर्ष 2022-23 में कुल मछली उत्पादन 17,025.97 मीट्रिक टन था, जो 2024-25 में बढ़कर 19,019.83 मीट्रिक टन हो गया। इसी तरह, जलाशयों में मछली उत्पादन 549.35 मीट्रिक टन से बढ़कर 748.76 मीट्रिक टन हो गया। सरकार अब शिमला के सुन्नी में नवनिर्मित मत्स्य फार्म में भी गोल्डन महाशीर अंगुलिकाओं के पालन की योजना बना रही है। इसके साथ ही, संरक्षण कार्यक्रम को आवास बहाली, मछली पकड़ने के नियमों का कड़ाई से पालन और स्थानीय समुदायों की भागीदारी से और अधिक सशक्त किया जाएगा। हिमाचल का यह मॉडल अब उन राज्यों व देशों के लिए प्रेरणास्रोत बन रहा है जो जैव विविधता संरक्षण की चुनौतियों से जूझ रहे हैं।