ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए प्रदेश सरकार ने की नए विशेषज्ञ डाॅक्टरों की तैनाती

डाॅक्टरों की तैनाती से होगा अस्पतालों में मरीजों का भार कम

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। कोरोना काल के दौरान प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए सरकार ने नए विशेषज्ञ डाक्टरों की तैनाती की है। इससे ग्रामीण स्तर पर बेहतरीन सुविधाएं लोगों को मिल सकेंगी। सरकार ने 215 नए डाक्टरों को ग्रामीण हलकों में लगाया है, जिनकी तैनाती के आदेश जारी कर दिए गए हैं। 215 विशेषज्ञ डाक्टरों को जोनल, जिला, ब्लाक, सामुदायिक अस्पतालों में तैनात किया है।
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इनमें सबसे ज्यादा एनेस्थीसिया के विशेषज्ञ डाक्टर शामिल हैं। अहम बात यह है कि प्रदेश में एनेस्थीसिया के डाक्टरों की भारी कमी रही है। सरकार ने मेडिसिन के 26,  हड्डी रोग के 17 विशेषज्ञ,  त्वचा रोग के छह विशेषज्ञ, आठ गला, नाक और कान रोग विशेषज्ञ, 14 मेडिसिन, 27 स्त्री रोग विशेषज्ञ, छह पैथोलॉजी, 21 रेडियोलॉजी, 22 सर्जरी विशेषज्ञ, 10 बालरोग विशेषज्ञ और मनोराग विशेषज्ञ को नई तैनाती दी है।* ये सभी विशेषज्ञ डाक्टर आईजीएमसी और टांडा मेडिकल कालेज से पीजी करके पासआउट हुए हैं। उन्हे सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की सेवा के लिए तैनाती दी है।
   इन विशेषज्ञ डाक्टरों की तैनाती से अस्पतालों में मरीजों का भार भी कम होगा।  गौर हो कि कोरोना की इस विकट परिस्थिति में इन 200 से अधिक विशेषज्ञ डाक्टरों की तैनाती लोगों की सुरक्षा के लिए काफी अहम मानी जा रही है। इससे एक ओर जहां अस्पतालों में लोगों की कम भीड़ जुटेगी, वहीं सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का भी आसानी से पालन हो सकेगा। अभी जो लोग कोरोना के खौफ  के चलते अपने इलाज करवाने के लिए बड़े-बड़े अस्पतालों में नहीं जा पा रहे थे, वे अब अपने घर के नजदीक विशेषज्ञ डाक्टरों से अपना रुटीन चैकअप आसानी से करवा सकेंगे। प्रदेश के जिन अस्पतालों में सरकार ने मेडिसिन और स्त्री रोग विशेषज्ञों की तैनाती की है वहां पर लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। अकसर लोग बुखार, सर्दी-खांसी, जुकाम, बीपी, मधुमेह और स्त्री रोग से संबंधित बीमारियों से ज्यादात्तर परेशान रहते हैं। ऐसे में लोगों को इलाज करवाने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
   प्रदेश में डाक्टरों की नई नियुक्तियों होने से आईजीएमसी और टांडा मेडिकल कालेज सहित सभी मडिकल कालेजों में मरीजों का भार कम होगा। इससे जहां दूसरे अन्य मरीजों को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलेंगी, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी अपनी छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज करवाने के लिए शहर नहीं जाना पड़ेगा।
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