आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। कोविड के दौर में सरकार ने लोगों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के कई योजनाएं शुरू की है जिसके अंतर्गत सरकार सस्ती दरों पर लोगों को लोन मुहैया करवा रही है लेकिन कुछ योजनाओं में बैंक लाभार्थियों तक पहुंचने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं और केस पेंडिंग में हैं।
मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना, स्वा निधि योजना और प्राइवेट बस ऑपरेटर के लिए कोविड में खर्चे के लिए प्रति बस दो लाख रुपये देने की योजना अभी तक पूरी तरह से सिरे नहीं चढ़ पाई है जिसको लेकर मुख्यमंत्री सचिव राम सुभग सिंह ने योजनाओं को लाभार्थियों तक पहुचाने के बैंकों को निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव शिमला में राज्य स्तरीय बैंकर समिति की 161वीं बैठक में अध्यक्षता कर रहे थे।
मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने कहा कि देश भर में लोग बैंकों से ज्यादा लोन लेते है और पैसा कम जमा करवाते है। जबकि हिमाचल प्रदेश में इससे उल्टा है। यहां लोग बैंको में पैसा जमा ज्यादा करवाते है जबकि लोन कम ले रहे है। उदहारण के रूप में अगर देश में क्रेडिट डिपाजिट रेश्यो 60 फ़ीसदी है तो हिमाचल में यह 42 फ़ीसदी ही है।
यानी कि हिमाचल में क्रेडिट डिपॉज़िट रेशो कम है। जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदेश की जनता नही उठा पा रहें है। राम सुभग सिंह ने कहा की कोरोना काल में सबसे ज़्यादा प्रभावित ट्रांसपोर्ट सेक्टर और पर्यटन क्षेत्र को पहुंचा हैं। इसलिए इस क्षेत्र को उभारने के लिए सरकार ने सस्ती ब्याज दरों पर लोन देने का निर्णय लिया था। लेकिन बैंक लोगों को इसके साथ जोड़ नही पा रहे हैं। बैंकों को निर्देश दिए है कि वह ऐसे मामलों का निपटारा जल्द करे ताकि प्रदेश के लोगों की आर्थिक स्थिति सुधर सके।
हिमाचल प्रदेश राज्य के राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक यूको बैंक की एसएलबीसी की 161वीं बैठक की अध्यक्षता एसके गोयल, एमडी एवं सीईओ और राम सुभाग सिंह, सचिव, हि.प्र.सरकार ने की। बैठक में बताया गया कि वर्ष 2021-22 की प्रथम तिमाही के दौरान, हिमाचल प्रदेश में बैंकों ने रु.7634 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले 7720 करोड़ रुपये के नए ऋण वितरित किए जो कि 101.12% है।31.03.2021 की स्थिति के अनुसार, बैंकों के पास कुल रु.142971 करोड़ रुपये की जमा राशि और रु.54485 करोड़ रुपये की राशि के ॠण हैं, जिसका सीडी अनुपात 38.11% है।
मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत, बैंकों ने वित्त वर्ष 2021-22 की प्रथम तिमाही के दौरान 5320 मामलों को मंजूरी दी।केसीसी योजना के तहत 4,22,735 किसानों को 7061 करोड़ रुपये एवं मुद्रा योजना के तहत 182735 लाभार्थियों को 2772 करोड़ की राशि के ॠण स्वीकृत किये गये। स्ट्रीट वेंडर्स योजना के एक वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर भारत सरकार ने इस योजना के अन्तर्गत ॠण सीमा को रु.10000 से बढ़ा कर 15000.00 कर दिया एवं ॠण वापस करने की समय सीमा वी एक वर्ष से बढ़ा कर 18 महीने कर दी । मुख्य सचिव ने इस योजना के अंतर्गत ॠण लेने वाले हिमाचल प्रदेश के लाभार्थियों के लिये स्टाम्प डयूटी पर छूट देने का आश्वासन दिया।
बैंकों के पास विभिन्न योजनाओं जैसे स्वानिधि, परिवहन ॠण, होटल ॠण, मुख्य मंत्री स्वाबलम्बन योजना एवं पीएमईजीपी इत्यादि के लम्बित पड़े मामलों का शीर्घ निपटान करने के आदेश दिये। मुख्य सचिव ने बैंकों को आदेश दिया कि वे कम से कम महीने में एक बार वीसी के द्वारा शाखा प्रबंधकों से अवश्य एक बैठक किया करें और लम्बित पड़े मामलों को निप्टाने एवं अन्य दिशा निर्देशों के सम्बन्ध में जानकारी उनके सांझा किया करें। निजि बैंकों द्वारा सरकारी योजनाओं के ॠण स्वीकृत न करने का संज्ञान लेते हुये मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार उनके जमा राशि के लक्ष्य पूरा करने में बहुत मदद करती है, यदि वे सरकारी ॠण स्वीकृत नहीं करेंगे तो सम्बन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
यूको बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री गोयल ने बताया कि इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि सरकार अपना धन निजि बैंकों में जमा करने का रुझान दिखा रही है। उन्होंने एक निजि बैंक का उदाहरण देते हुये कहा कि एक निजि बैंक की मात्र 12 शाखायें ही इस राज्य में हैं जबकि 12 सरकारी योजनाओं से अधिक की जमाराशि को रखने के लिए इस बैंक के पास खाते खोले गये हैं। इस समय तक सरकार की कुल 64 योजनाओं में से 41 योजनाओं के खाते निजि बैंकों में खोले गये हैं। उन्होंने मुख्य सचिव से विशेष अनुरोध किया कि वे इस विषय में आवश्यक कदम उठायें।
बैठक में मुख्य तौर में ए.के.गोयल, प्रबंध निदेशक एवं सीईओ, यूको बैंक, प्रधान कार्यालय, कलकत्ता, राम सुभाग सिंह, मुख्य सचिव, हिमाचल प्रदेश सरकार, शिमला, प्रबोध सक्सेना, अतिरिक्त विशेष सचिव, वित्त, हि.प्र. सरकार, एस.एस.नेगी, डीजीएम, यूको बैंक, शिमला, के.सी. आनंद, महाप्रबंधक (प्रभारी), भारतीय रिजर्व बैंक और डी.के.रैना, मुख्य महा प्रबंधक, नाबार्ड, शिमला ने भाग लिया