गांधी राजकीय महाविद्यालय (कोटशेरा), शिमला आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) एवं अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ (R&D Cell) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित फैकल्टी डिवेलपमेंट प्रोग्राम का सफल समापन I

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला । राजीव गांधी राजकीय महाविद्यालय (कोटशेरा), चौड़ा मैदान, शिमला में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) एवं अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ (R&D Cell) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक सप्ताह फैकल्टी डिवेलपमेंट प्रोग्राम (FDP) का विधिवत समापन हुआ।

समापन दिवस का शुभारंभ डॉ. मृणालिनी कश्यप के स्वागत भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने उपस्थित अतिथियों एवं प्रतिभागियों का हार्दिक अभिनंदन किया। इस अवसर पर अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ (R&D Cell) के संयोजक डॉ. राकेश शर्मा ने सप्ताह भर चले इस कार्यक्रम की गतिविधियों की एक संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कार्यक्रम के प्रमुख विषयों, वक्ताओं और प्रतिभागियों की सहभागिता का विवरण दिया गया।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. गोपाल चौहान ने भी NEP की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह नीति शिक्षकों को शिक्षण, मूल्यांकन और अनुसंधान में नवाचार की ओर प्रेरित करती है। इस प्रकार के FDP कार्यक्रम, शिक्षकों को NEP के क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका निभाने हेतु तैयार करते हैं।राजीव गांधी राजकीय महाविद्यालय (कोटशेरा), शिमला आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) एवं अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ (R&D Cell) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित फैकल्टी डिवेलपमेंट प्रोग्राम का सफल समापन I

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राकेश कंवर (IAS), सचिव, शिक्षा विभाग, हिमाचल प्रदेश सरकार रहे। उन्होंने राजीव गांधी राजकीय महाविद्यालय को सफलतापूर्वक फैकल्टी डिवेलपमेंट प्रोग्राम आयोजित करने के लिए बधाई दी। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि शिक्षक और विद्यार्थी के बीच एक पवित्र संबंध होता है, जो राष्ट्र निर्माण की नींव है। उन्होंने कहा कि आज के समय में तकनीक ने संवाद की गति को तो बढ़ा दिया है, लेकिन साथ ही यह सूचना के बोझ का कारण भी बन गई है। ऐसी स्थिति में शिक्षकों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि वे विद्यार्थियों में मौलिक सोच, संज्ञानात्मक कौशल और आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में सहायक होते हैं।

 

 

इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा में संवाद, आलोचनात्मक चिंतन और सहभागिता जैसे कौशलों को विकसित करना अत्यंत आवश्यक है।उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के उद्देश्यों को दोहराते हुए कहा कि यह नीति समग्र विकास, अंतरविषयक अध्ययन, कौशल आधारित शिक्षा एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र की मुख्य वक्ता डॉ. अनुरिता सक्सेना, प्राचार्या, राजकीय कन्या महाविद्यालय (RKMV), शिमला रहीं। उन्होंने संप्रेषण कौशल की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि प्रभावी संवाद के लिए आंतरिक एवं पारस्परिक संप्रेषण कौशल अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने “हमेशा एक विद्यार्थी बने रहने” और “निरंतर सीखते रहने” के महत्व को रेखांकित किया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि संवाद में जितना आवश्यक ‘सुनना’ है, उतना ही ‘अवलोकन’ भी महत्त्वपूर्ण होता है।

आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ. पी.एल. वर्मा ने जानकारी दी कि इस कार्यक्रम में शिमला और आसपास के महाविद्यालयों से लगभग 60 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस एक सप्ताहीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागियों को शिक्षा, अनुसंधान, नैतिकता, नेतृत्व और नई शिक्षा नीति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान एवं मार्गदर्शन प्रदान किया गया। इस अवसर पर छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. पी.डी. कौशल, प्राणीशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. शालिनी चौहान, वनस्पति शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. अनुप्रिया शर्मा एवं अन्य शिक्षण संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे।