सुक्खू सरकार ने 12 महीनों में लिए 12 जनविरोधी निर्णय, आपदा में जश्न मनाकर जनता के जख्मों पर छिड़का नमक – रणधीर शर्मा

बोले .....आर्थिक तंगी का रोना केवल जनता के लिए मित्रों पर खर्चे जा रहे हैं करोड़ो

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। एक साल के जश्न को लेकर भाजपा लगातार कांग्रेस सरकार को घेरने में जुटी हुई है। आक्रोश दिवस मनाने के बाद अब बीजेपी मीडिया मीडिया विभाग के प्रभारी और विधायक रणधीर शर्मा ने सरकार पर जुबानी हमला बोला है। कहा है कि सरकार ने 12 महीने में 12 जनविरोधी निर्णय लिए उसके बाद जश्न मनाकर आपदा में लोगों को मिले जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है।

रणधीर शर्मा ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि हिमाचल प्रदेश में एक साल से पंद्रह सौ रुपए का इंतजार कर रही है। कर्मचारी डीए का इंतजार कर रहे हैं। शर्मा ने कहा कि सुक्खू सरकार ने साल में एक भी जनहित का निर्णय नही लिया बल्कि इसके विपरित, संस्थान बंद किए गए, पेट्रोल पर वैट बढ़ाया, बिजली महंगी हुई, बिजली महंगी होने से उद्योग का पलायन किया। आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, मंदिरों में दर्शन पर टैक्स लगा दिया। प्रदेश में बाहरी राज्यों से आने वाली गाड़ियों पर टैक्स बढ़ाकर, पर्यटकों का आना दूभर कर दिया। सहारा, हिमकेयर जैसी योजनों का बजट का प्रावधान नहीं किया, विधायक निधि की एक किस्त नही दी।

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स्टैंप ड्यूटी बढ़ाकर जनता पर आर्थिक बोझ डाला। उन्होंने कहा कि सरकार ने 12 महीने में 12 जनविरोधी निर्णय लिए और अब उसका जश्न मनाया। उन्होंने आपदा प्रभावित लोगों को राहत न मिलने की बात रखते हुए कहा कि लैंडलेश लोगों को अभी तक जमीन नहीं मिल पाई है। ऐसे में जश्न मनाकर संवेदनहीनता को दर्शाया है। सरकार ने जश्न के लिए सरकारी मशीनरी का दुर्पयोग कर करोड़ो रुपए खर्च किए न तो जश्न मे लोग आए और न ही इनके नेता। रणधीर ने कहा कि सुक्खू साल भर आर्थिक तंगी का रोना रोते रहे। ऐसा था तो सीपीएस बनाने की क्या जरूरत थी जश्न पर करोड़ों रुपए खर्च करने की क्या आवश्यकता थी।

बीजेपी सुक्खू सरकार की दोगली राजनीति की निंदा करती हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक तंगी का रोना केवल जनता के लिए है मित्रों के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए। उन्होंने कहा कि भाजपा इस सरकार के जनविरोधी रवईये के खिलाफ आंदोलन जारी रख कर मोदी की केंद्र सरकार की नीतियों को जनता तक पहुंचाते हुए आगामी लोकसभा चुनावों में चारो सीटें जीतेगी।