आदर्श हिमाचल ब्यूरो,
शिमला/तमिलनाडु ।उच्चतम न्यायालय ने लावण्या आत्महत्या मामले में न्याय हेतु लड़ने वाले देश के युवाओं की सुनी है गुहार:
तमिलनाडु के तंजावुर जिले के सेक्रेड हाई स्कूल में मतांतरण के दबाव के कारण आत्महत्या को मजबूर होने वाली छात्रा, लावण्या को न्याय दिलाने के लिए मुख्यमंत्री स्टालिन के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे अभाविप के कार्यकर्ताओं से पुलिस ने बर्बरतापूर्ण व्यावहार करते हुए अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी, राष्ट्रीय मंत्री मुथु रामलिंगम, दक्षिण प्रांत प्रदेश मंत्री सुशीला सहित कई अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया है।
लावण्या आत्महत्या मामले में राज्य सरकार की असंवेदनशीलता इस बात से प्रदर्शित होती है कि सरकार मद्रास उच्च न्यायालय के सीबीआई जांच के आदेश के ख़िलाफ़ सर्वोच्च न्यायालय में अर्ज़ी लगाने पहुँच गई थी। परंतु सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज़ करते हुए और उच्च न्यायालय के फ़ैसले को मान्य रखते हुए, मामला सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया। जिससे लावण्या को न्याय मिले यह माँग हेतु संघर्षरत युवाओं को अब न्याय की आस जगी है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री गजेन्द्र तोमर ने कहा, “तमिलनाडु सरकार तथा प्रशासन, लावण्या की आत्महत्या के मामले को दबाने के लिए सारे संभव हथकंडे अपना रहे हैं परंतु अभाविप का प्रत्येक कार्यकर्ता लावण्या को न्याय मिलने तक संघर्षरत रहने के लिए प्रतिबद्ध है। अपनी गलती और मिशनरियों के दुष्कर्म को छिपाने के लिए राज्य सरकार माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना करने से नहीं चूक रही है। हम लावण्या को न्याय मिलने तक लड़ते रहेंगे”
कु. प्रेरणा पवार, अभाविप राष्ट्रीय मंत्री ने कहा, “तमिलनाडु सरकार ने बर्बरता की हदों को पार कर दिया है। सरकार लावण्या की आवाज़ को दबाने का हर सम्भव प्रयास कर रही है परंतु अभाविप लावण्या की लड़ाई को लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। हम मतांतरण को रोकने के लिए क़ानून बनाने के लिए भी सरकार से आग्रह करेंगें ताकि पुनः किसी भी विद्यार्थी को ऐसे वीभत्स और दुर्दांत कृत्य का सामना न करना पड़े।”