आदर्श हिमाचल ब्यूरों
नई दिल्ली। भारत सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में बड़े विस्तार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए 2030 तक 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों को विस्तारित करने का लक्ष्य तय किया है। तथा कथित ‘नो-गो’ क्षेत्रों में 99% की कटौती के बाद यह संभव हो पाया है, जिससे क्षेत्र में निवेश की संभावनाएं कई गुना बढ़ी हैं। ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) के माध्यम से सरकार पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया को बढ़ावा दे रही है और साथ ही, गैस मूल्य निर्धारण के नए मॉडल में गहरे समुद्री क्षेत्रों और नए कुओं के लिए 20% प्रीमियम की पेशकश और मूल्य निर्धारण को भारतीय कच्चे तेल की टोकरी से जोड़ने जैसे निर्णयों ने निवेशकों को आकर्षित किया है।
हाइड्रोकार्बन से हरित ऊर्जा की ओर भारत का परिवर्तन
भारत की ऊर्जा गाथा अब केवल हाइड्रोकार्बन तक सीमित नहीं है। 2014 में इथेनॉल मिश्रण 1.5% था, जो अब बढ़कर विदेशी मुद्रा की 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत के स्तर तक पहुंच चुका है। किसानों को भी इसके माध्यम से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष लाभ मिला है। इसके साथ ही 300 से अधिक संपीड़ित बायोगैस संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं, जिनका लक्ष्य 2028 तक 5% गैस मिश्रण हासिल करना है, वहीं हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में सार्वजनिक तेल कंपनियां नेतृत्व कर रही हैं।
रूस से तेल खरीद पर उठे सवालों पर भारत का स्पष्ट रुख
रूस से तेल आयात को लेकर उठे सवालों पर भारत ने स्पष्ट किया है कि उसने किसी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन नहीं किया है। रूस के तेल पर ईरान या वेनेजुएला जैसे प्रतिबंध नहीं हैं, बल्कि जी7/ईयू मूल्य-सीमा प्रणाली के अंतर्गत यह आपूर्ति जारी है। भारत ने 18 दौरों की शर्तों का पालन किया है और हर लेन-देन में कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई है। भारत ने वैश्विक कीमतों में अस्थिरता के समय घरेलू बाजार की रक्षा के लिए डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर तक का नुकसान सहा, केंद्रीय और राज्य करों में कटौती की और निर्यात नियमों में बदलाव कर यह सुनिश्चित किया कि घरेलू आपूर्ति बनी रहे।
भारत नहीं बना “लौंड्रोमैट”, बल्कि वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति का स्थिर कारक
भारत को रूस के तेल के लिए “लौंड्रोमैट” कहे जाने के आरोपों को सरकार ने निराधार और भ्रामक बताया है। भारत दशकों से विश्व का चौथा सबसे बड़ा पेट्रोलियम उत्पाद निर्यातक रहा है और उसकी रिफाइनरियाँ मिश्रित कच्चे तेल के साथ काम करती हैं। रूस पर प्रतिबंध के बाद यूरोप तक ने भारत से ईंधन खरीदना शुरू किया, जिससे यह साबित होता है कि भारत वैश्विक ऊर्जा स्थिरता का एक भरोसेमंद स्तंभ है।
‘मेड इन इंडिया’ सेमीकंडक्टर क्रांति की ओर तेज़ी से अग्रसर
भारत में नई औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा क्षेत्रों द्वारा किया जा रहा है। हाल ही में कैबिनेट ने भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत चार नई परियोजनाओं को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री का जापान में सेमीकंडक्टर हब का दौरा, भारत-जापान की साझेदारी को नई ऊँचाइयों तक ले गया है। UPI के जरिए भारत ने वास्तविक समय डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व स्थापित किया है। डिजिटल बुनियादी ढांचे और स्टार्टअप इकोसिस्टम के मेल से भारत नवाचार को सेवाओं और समाधानों में बदल रहा है।
2038 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान
EY जैसी स्वतंत्र एजेंसियों के अनुसार, भारत 2038 तक PPP के आधार पर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है, जिसका सकल घरेलू उत्पाद 34 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होगा। इस दौरान सरकार ने कहा है कि भारत सुधारों, आत्मनिर्भरता और समावेशी विकास की राह पर चलते हुए एक “विकसित भारत” की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत हर चुनौती का जवाब नीतिगत दृढ़ता और क्रियान्वयन से दे रहा है।