टूरिस्ट बसों पर लगे टैक्स से पर्यटन को करोड़ों का नुकसान होना तह, टूर ऑपरेटरों का हिमाचल में ग्रुप्स लेकर आना बना घाटे का सौदा

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टूरिस्ट बसों पर लगे टैक्स से पर्यटन को करोड़ों का नुकसान होना तह
टूरिस्ट बसों पर लगे टैक्स से पर्यटन को करोड़ों का नुकसान होना तह

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

 

शिमला। ट्रांस्पोर्ट विभाग द्वारा बाहरी राज्यों से आने वाले टूरिस्ट बसों तथा टेम्पो ट्रैवलर पर लगाए गए नए टैक्स के कारण हिमाचल के पर्यटन को करोड़ों का नुकसान होना तह माना जा रहा है। गुजरात,बंगाल तथा महाराष्ट्र से बहुत अधिक संख्या में पर्यटक ग्रुप्स मे टूरिस्ट बसों तथा टेम्पो ट्रैवलर के द्वारा हिमाचल आते है । इसी तरह बहुत बड़ी संख्या मे पर्यटक फैमिलीज के साथ अंबाला तथा चंडीगढ़ तक ट्रेन मे आते है तथा वहां से टेम्पो ट्रैवलर किराए पर लेकर हिमाचल का रुख करते है। होटलों की ऑक्युपेंसी पर गुजरात,बंगाल तथा महाराष्ट्र से आने वाले ग्रुपस् का बहुत बड़ा योगदान है।

 

 

सरकार ने सितंबर से जो नया टैक्स लगाया है उससे टूर ऑपरेटरों का हिमाचल में ग्रुप्स ले कर आना घाटे का सौदा बन गया है। ट्रैवल एजेंट्स मे भी बहुत कंपीटीशन है इसी कारण वह बहुत कम प्रॉफिट मार्जिन पर भी ग्रुप्स लेकर हिमाचल का पैकेज बुक करते है। । गुजरात के अधिकतर ट्रैवल एजेंट तथा टूर ऑपरेटर्स ने पहले से ही कई वर्षों से हिमाचल को बायकॉट कर रखा है। इस नए टैक्स से जो थोड़े बहुत ग्रुप्स ले कर आ रहे थे उन्होंने भी अपनी आइटरिनरी से हिमाचल को बाहर कर दिया है। इसी प्रकार बंगाल तथा महाराष्ट्र के ट्रैवल एजेंट्स ने भी हिमाचल आने से इंकार कर दिया है।

 

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दुर्गा पूजा से लेकर फरवरी तक बड़ी संख्या मे इन तीन राज्यों से पर्यटक हिमाचल का रुख करते है। होटलों में इन प्रदेशों से आने वाली बुकिंग कैंसल हो गई है जिसके कारण होटल व्यवसायियों की चिंताएं बड़ गई है। इससे न केवल होटल इंडस्ट्री को नुकसान झेलना पड़ेगा परंतु सरकार के खजाने पर भी इसका इनडायरेक्ट कई प्रकार का नुकसान होगा जिसमे GST के अलावा कई अन्य टैक्स शामिल है।होटल इंडस्ट्री पहले ही पिछले कई वर्षों से एक के बाद एक आपदा के कारण अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रही है। इस वर्ष बरसात के कारण हुई त्रासदी के चलते पिछले लगभग तीन महीने से होटलों मे ऑक्यूपेंसी न के बराबर रही है। अब आने वाले दुर्गा पूजा सीजन से जो उम्मीद पर्यटन से जुड़े व्यवसायियों को जगी थी उसपर भी पानी फिरता नजर आ रहा है जिसने होटल वालों की चिंताएं बड़ा दी है।

 

 

वर्तमान मे होटल व्यवसाय चारों तरफ से मार झेल रहा है। एक तरफ अत्यधिक टैक्स,पानी के रेट,बिजली की फिक्स्ड डिमांड चार्जेस,तथा दिन प्रतिदिन बढ़ते फिक्स्ड खर्चों के कारण होटल व्यवसाय घाटे का सौदा बन चुका है। दूसरी तरफ हजारों की संख्या में शिमला के इर्द गिर्द बी एंड बी तथा होम स्टे और अनरजिस्टर्ड कमरों का संचालन के कारण होटलों की ऑक्युपेंसी बहुत कम रह गई है तथा अनहेल्थी कंपीटीशन के कारण होटलों को विभाग द्वारा कमरों का फिक्स्ड किराया भी नही मिल पा रहा है जिसका सीधा असर होटलों की वायबिल्टी पर पड़ा है।अब उपर से तीन राज्यों का हिमाचल बायकॉट ने होटल इंडस्ट्री को शून्य पर लाकर खड़ा कर दिया है। हमारी एसोसिएशन ने 4 सितंबर को प्रिंसिपल सेक्रेटरी टूरिज्म से उनके ऑफिस मे भेंट कर एक ज्ञापन भी सौंपा था जिसमे नए टैक्स से पर्यटन को होने वाले नुकसान का जिक्र भी किया गया था।

हमारा सरकार से आग्रह है की जो टूरिस्ट बसों पर नया टैक्स लगाया गया है उसे तुरंत हटाया जाए ताकि पहले से डूबे हुए पर्यटन उद्योग को कुछ हद तक बाचाया जा सके।