एक अध्यापक ने दी अपने बिछड़े विद्यार्थी को श्रद्धाँजलि

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

चंडीगढ़। प्रसिद्ध सिख विद्वान पद्म श्री डॉ. रत्न सिंह जग्गी ने महान शायर और अपने विद्यार्थी रहे डॉ. सुरजीत पातर को श्रद्धाँजलि भेंट करते हुए कहा कि उसके चल जाने से साहित्य जगत को एक ऐसी क्षति हुई है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती।

डॉ. जग्गी ने डॉ. सुरजीत पातर के परिवार को लिखे शोक संदेश में श्रद्धाँजलि देते हुए लिखा है, ‘‘डॉ. सुरजीत पातर आज के युग का कद्दावार साहित्यकार था जिसके चले जाने से साहित्य जगत को एक बड़ी क्षति हुई है जिसकी पूर्ति नहीं हो सकती। उनके चले जाने से जहाँ परिवार को एक बड़ी हानि हुई है वहीं पंजाब और देश को भी एक बड़ा नुकसान हुआ है।’’

डॉ. जग्गी जो डॉ. सुरजीत पातर की एम.ए. की पढ़ाई में अध्यापक थे, ने लिखा, ‘‘मुझे हमेशा इस बात पर गर्व रहेगा कि सुरजीत पातर मेरा विद्यार्थी था। एक अध्यापक के लिए इससे बड़ी बात क्या होगी कि उसकी पहचान उसके विद्यार्थियों द्वारा की जाये।’’

डॉ. जग्गी ने कहा कि सुरजीत पातर जहाँ महान शायर थे वहीं विद्यार्थी जीवन में नम्रता, सरलता और विनम्रता जैसे गुणों के मालिक थे। सुरजीत पातर ने ये गुण शोहरत की बुलन्दियों को छूने के बाद भी नहीं छोड़े जिनके वह ख़ुद गवाह हैं। उन्होंने कहा कि सुरजीत पातर ने अपने लेखों द्वारा पंजाबी मातृभाषा का मान बढ़ाया और आजीवन पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत के संरक्षक रहे।

डॉ. जग्गी ने परिवार के साथ दुख साझा करते हुए कहा कि ईश्वर उनको अपने चरणों में स्थान दें तथा परिवार, साहित्य जाग़त और उनको चाहने वाले अनेकों साहित्य प्रेमियों को ईश्वरीय आदेश मानने का बल प्रदान करें।