एनजीओ के आरोप, एक मौत भी न सुधार सकी तीन जिलों के कोरोना अस्पताल रिपन की अव्यवस्थाएँ,  कोरोना मरीज इन अव्यवस्थाओं के शिकार

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रिपन अस्पताल की फाइल फोटो
रिपन अस्पताल की फाइल फोटो

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। जिला शिमला के सबसे बड़े कोरोना क्वारंटाईन सेंटर रिपन हॉस्पिटल में मरीजों के खस्ता हाल है। न कोई सुविधा और न ही मरीजों को खाने की सही व्यवस्था है। क्या प्रशासन को इस हकीकत के बारे जानकारी नहीं है या इस को अनदेखा किया जा रहा है ? एक डाक्टर से चार मंजिला हॉस्पिटल चलाया जा रहा है वह बेचारा अकेले कितने मरीजों को देख सकता हैं आलम ये है सफाई की कोई खास व्यवस्था नहीं है स्वयं मरीजों को बैड साफ करने पड़ते हैं और जो मरीज चले जाते हैं उन के बिस्तर जहाँ पड़े हैं वहां से उस को कोई समय पर नहीं ले जाता। ये गंभीर आरोप पर्यावरण संरक्षण समिति क्यारी कोटखाई जिला शिमला के चेयरमैन शिव प्रताप भीमटा ने लगाए हैं।

पिछले दिनों एक कोरोना पॉजिटिव के अनुभव के आधार पर ये सारे आरोप लगाये गए हैं। मरीजों के बार-बार कहने पर वार्ड से मुश्किल से इस्तेमाल किए गए बेडिंग के कपड़े ले जाए जाते हैं। ये गंभीर विषय है कि जब मरीज कोरोना पॉजिटिव आते हैं तो उन्हें काफ़ी कमजोरी आती है जिस की भरपाई के लिए समय रहते मरीज को अच्छी खुराक की आवश्यकता रहती है लेकिन हास्पिटल की व्यवस्था देख कर लगता है कि प्रशासन कोरोना मरीजों के साथ जानवरों की तरह बर्ताव कर रहे हैं। खाना बिलकुल ठण्डा और गुणवत्ता में एक दम बेकार मरीज जब खाना वहाँ से लाते हैं, गुणवत्ता सही न होने की वजह से कुड्डेदान में फेंक देते हैं जिससे सरकारी राशन की भी बर्बाद हो रही है और न मरीजों को सही खाना मिल पा रहा है साथ के साथ न मरीजों को खाने के लिए बताया जाता है क‌ई वार्ड बहार की साईड है जहां पर मरीजों को आक्सीजन लगी होती हैं उन को कोई चाय,ब्रेकफास्ट व खाना आने की जानकारी नहीं देता जबकि हर वार्ड में कर्मचारियों को जा कर सूचना देनी चाहिए इस से क‌ई मरीजों को बगैर खाने के वंचित रहना पड़ता हैं खाने में भी किसी को मिल जाता है जो पहले जाते हैं बाद में आधे मरीजों को आधी-आधी चीजें मिलती ही नही हैं।

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संस्था ने आरोप लगाए हैं कि ब्रेकफास्ट में किसी को दुध, किसी को ब्रैड, किसी को अण्डा, किसी को मक्खन मिलता है सारी चीजें किसी को उपलब्ध नहीं होती जब कर्मचारी को कहते हैं तो जवाब मिलता है  कि खत्म हो गया है। संस्था ने कहा कि क्या अस्पताल प्रशासन को ये मालूम नहीं की कितने मरीजों का खाना,ब्रेकफास्ट, चाय,दुध व अन्य सामग्री उपलब्ध होनी चाहिए? कर्मचारी मरीजों को सही से न तो खाना देते है न ही चाय सूप व दुध गर्म देते हैं सारा एकदम ठण्डा रहता है जोकि कोरोना मरीजों के लिए घातक है। मरीजों के पास कोई  न अटेंडेंट होने के कारण बहार से ला नहीं सकता और कर्मचारियों के शोषण के कारण खाद्य पदार्थों की कमी से उसे भूखा ही रहना पड़ता है जो कि मरीजों के साथ अन्यायपूर्ण है।

शिव प्रताप भीमटा ने अस्पताल प्रशासन के मुखिया से विनम्र निवेदन किया है कि कृपया उक्त समस्या को गम्भीरता से लेते हुए स्वयं हास्पिटल जा कर जांच करें और मरीजों से स्वयं फीडबैक लेने की कोशिश करें ताकि सच्चाई सामने आ सकें और मरीजों को सही सुविधाएँ व खाने की सामग्री उपलब्ध हो सके।

 

वहीं इस सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया है रिपन अस्पताल के एमएस डाक्टर रमेश चौहान ने। उन्होंने कहा कि पहली बात तो जब से रिपन अस्पताल में जब से महिमा की मौत हुई है तब से यहां हर रोज अस्पताल में दाखिल दो-तीन मरीजों से फोन पर जिला प्रशासन और हाईकोर्ट के जज खुद बात करते हैं।  हाईकोर्ट के जज खुद इस अस्पताल की निगरानी कर रहे हैं। जहां तक साफ सफाई की सवाल है तो अस्पताल ने स्वीपर लगाएं हैं औऱ् साथ ही खाना ठंडा होने का सवाल ही नहीं पैदा होता क्योंकि यहां इलेक्ट्रिक सिस्टम लगे हैं। उन्होंने आदर्श हिमाचल को इस संदर्भ में फोटो भी भेजी। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक आदमी ने इस तरह की शिकायत की है, क्यों की है ये वे भी नहीं जानते। लेतिन अस्पताल में कोई भी अव्यवस्थाएं नहीं है। कोई भी किसी भी वक्त अस्पताल का निरिक्षण कर सकता है और यहां की व्यवस्था जांच सकता है।