बददी से शिमला ला रहे थे मरीज, 108 में खत्म हुई आक्सीजन के बाद संक्रमित ने तोड़ा दम

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
 आदर्श हिमाचल ब्यूरो
सोलन। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के बद्दी के निजी अस्पताल से आईजीएमसी शिमला रेफर किए गए कोरोना संक्रमित 53 वर्षीय कारोबारी की 30 किमी दूर परवाणू में 108 एंबुलेंस में ही मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि परवाणू से कुछ दूर पहले ही एंबुलेंस में रखे सिलिंडरों में ऑक्सीजन खत्म हो गई थी। कुछ देर मुंह से भी ऑक्सीजन देने का प्रयास किया गया लेकिन मरीज ने दम तोड़ दिया। उनका आरोप है कि मरीज इतना गंभीर भी नहीं था।
एंबुलेंस में भी खुद ही बैठा था। उनका आरोप है कि दम तोड़ने के बाद शव को छोड़कर एंबुलेंस कर्मी चला गया था। मृतक के परिजनों ने 108 एंबुलेंस के कर्मचारियों के खिलाफ लापरवाही बरतने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दी है। परिजनों के हंगामे और वीडियो वायरल होने के बाद जब स्वास्थ्य विभाग ने जांच करवाई तो सीएमओ सोलन का कहना है कि एंबुलेंस में पर्याप्त ऑक्सीजन थी। परिजनों के अनुसार दो दिन पहले कारोबारी को बुखार आया था।
इसके बाद बद्दी अस्पताल में उसका टेस्ट हुआ। वह पॉजिटिव आए। बद्दी अस्पताल के एसएमओ डॉ. अनिल अरोड़ा ने उन्हें पीजीआई रेफर कर दिया, लेकिन वे बद्दी के एक निजी अस्पताल में ले गए। दो दिन तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद जब उनकी हालत में सुधार नहीं आया तो उसे आईजीएमसी शिमला रेफर कर दिया। सोमवार देर सायं उन्हें बद्दी से रेफर किया। जिस समय रेफर किया उस समय वह ठीक हालत में थे और स्वयं एंबुलेंस में बैठे।
108 एंबुलेंस में दो सिलिंडर लगे थे और परिजनों ने एक अपना सिलिंडर भी आपातकाल के लिए रखा था। मृतक के पुत्र मनीष ने आरोप लगाया कि जैसे ही एंबुलेंस परवाणू पहुंची तो ऑक्सीजन के तीनों सिलिंडर समाप्त हो गए थे। इस पर उसने 108 एंबुलेंस में तैनात फार्मासिस्ट को बार-बार आग्रह किया। लेकिन वह गाड़ी को आगे ही ले जाते गए। धर्मपुर के समीप मरीज की सांस रुकने लगी। अपने मुंह से सांस देकर भी उन्हें बचाने का प्रयास किया।
लेकिन सोलन पहुंचने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। सोलन में उनके पिता का शव को सड़क पर छोड़कर भाग गए और कर्मचारियों ने अपना नाम तक भी नहीं बताया। वहां से वह शव को मंगलवार को बद्दी लाए और यहां पर उनका कोविड नियमों के तहत अंतिम संस्कार हुआ। मनीष ने बताया कि उनके पिता की मौत 108 एबुलेंस के कर्मचारियों की लापरवाही से हुई है। अगर ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था होती तो उनके पिता बेमौत नहीं मरते।
उन्होंने प्रशासन से इन कर्मचारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला सोलन डॉ. राजन उप्पल ने बताया कि बद्दी से शिमला रेफर किए गए मरीज की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच कराई। इसमें पाया गया कि एंबुलेंस में सिलिंडर की कोई कमी नहीं थी। रोगी की हालत ज्यादा नाजुक होने पर उसकी मौत हुई है न कि ऑक्सीजन की कमी के कारण उसकी मौत हुई।
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