आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला।डॉ०के०एल०शर्मा प्रदेश राष्ट्रीय हरित क्रांति प्राधिकरण (NGT) द्वारा हिमाचल प्रदेश में शहरी व ग्राम नियोजन (TCP) पर दो मंजिला से अधिक मकान ना बनाने के नियम जो प्रदेश बासियों पर कड़ा प्रहार है को अतिशीघ्र समाप्त किया जाए तथा शहरी व ग्रामीण प्राधिकरण के अंतिम नियोजन को लागू किया जाए जो कि 1978 से निलंबित पड़ा है।
उन्होने कहा कि 1972 के मुजारा एक्ट के तहत प्रदेश के 1. 62 लाख लघु जिम्मेदारों की भूमि चली गई थी तथा उसका अधिकतम मुआवजा ₹500 प्रति कनाल (जबकि मार्केट में ₹10 लाख प्रति कनाल का मूल्यांकन था) के हिसाब से ₹32.33 करोड़ हिमाचल प्रदेश के सरकारी खजाने में 1978 से जमा है। इन सभी लघु जमीदारों या इनके उत्तराधिकारियों को मार्केट रेट के अनुसार शीघ्र मुआवजा दिया जाए।
डा: के एल शर्मा यह भी मांग की कि प्रदेश में गोचर भूमि पर वन विभाग व अन्य विभागों के कब्जे हैं जो कि तुरंत हटाए जाएं तथा गोवंश व अन्य बेसहारा पशुओं के लिए उपलब्ध करवाई जाए। प्रदेश सरकार द्वारा गोचर, पंचायती, वन विभाग इत्यादि की जमीन को उद्योगों तथा व्यापारी करण के लिए बहुत कम दर से लीज पर देना बंद करें।