दीवान राजा
आनी। क्षेत्र के कई स्थानों पर “शाख” पर्व धूमधाम से मनाया गया। कृष्ण पक्ष की द्वादश तिथि को क्षेत्र की महिलाएं इसे अपने घरों में एक लकडी की पट्टिका पर स्थापित करती हैं तथा नौ दिनों के बाद रविवार को ऋषि पंचमी के दिन क्षेत्र की महिलाओं ने प्राकृतिक जल स्रोतों के पास इसका विसर्जन किया ।

माना जाता है कि दंत कथा के अनुसार काफी प्राचीन समय में जब धरती पर जब आकाल पडा और किसी भी फसल का दोहन नहीं हो पा रहा था तो देवताओं ने मां दुर्गा की तपस्या की तो दुर्गा ने मां शाकुम्भरी का रुप धारण किया और कहा कि मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूँ आज से धरती पर अन्न,फल,शाग आदि की भरपूर पैदावार होगी इसी शाग से इसका नाम “शाख” पडा ।
नौ दिनों तक महिलाएं इसे अपने घरों में स्थापित करती हैं और नवें दिन इसका विसर्जन करती है । वहीं स्थानीय देवी देवताओं को भी इसे अर्पित किया जाता है । आनी क्षेत्र के शमशर,श्मेशा,दलाश,रिवाडी, रौं,चपोहल,गोहाण,बटाला,कराणा, नित्थर, ओलवा, बौरी, तूणी समेत कई क्षेत्रों में इसकी धूम रही ।
पारम्परिक वेश भूषा में सजकर पौराणिक गीतों के साथ महिलाओं ने जल स्त्रोतों पर जाकर इसका विसर्जन किया ।