आदर्श हिमाचल ब्यूरों
कोच्चि| हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने आज कोच्चि में आयोजित केरल अर्बन कॉन्क्लेव में हिस्सा लिया। इस अवसर पर केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर और केरल के मुख्यमंत्री पिणराई विजयन भी उपस्थित रहे। इस सम्मेलन में शहरी विकास से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर व्यापक विचार विमर्श हुआ। मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने हिमाचल की पर्वतीय परिस्थितियों के अनुरूप जलवायु-संवेदनशील शहरी विकास मॉडल साझा करते हुए अन्य राज्यों के साथ अपने अनुभवों का आदान-प्रदान किया और उन्होंने राज्यों के बीच आपसी सहयोग और सतत विकास को मजबूती देने पर बल दिया।
इस दौरान विक्रमादित्य सिंह ने ‘कल के पहाड़’ विज़न के अंतर्गत शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए विकास और संरक्षण के बीच संतुलन की हिमाचल की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि पिछले 100 वर्षों में औसत तापमान में 1.6°C की वृद्धि और 2023 व 2025 की अतिवृष्टियों ने जलवायु अनुकूलन की आवश्यकता को और भी स्पष्ट किया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश ने क्लाइमेट इंटेलिजेंस नेटवर्क, ढलानों की जैव-इंजीनियरिंग, वर्षा जल संचयन, झरनों के पुनर्जीवन और आधुनिक जल प्रबंधन जैसे नवाचार अपनाए हैं और साथ ही ₹5,000 करोड़ के हिमाचल ग्रीन डवलपमेंट फंड, कार्बन क्रेडिट आय, और पर्यटन आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जैसे कदमों की जानकारी दी। अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भी हिमाचल ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। राज्य में 2,400 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित कर शत प्रतिशत नवीकरणीय बिजली उत्पादन सुनिश्चित किया गया है।
विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि राज्य सरकार स्मार्ट सिटी प्रबंधन, कचरा पुनर्चक्रण, इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन, और केबल कार जैसी पहलों के जरिए शहरी जीवन को अधिक सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। इसके साथ ही मंदिरों, वनों और पारंपरिक शिल्पकला के संरक्षण के माध्यम से राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी सहेजने के प्रयास जारी हैं। मंत्री ने सम्मेलन में स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य वर्ष 2040 तक हिमाचल को क्लाइमेट पॉजिटिव राज्य बनाना है और 2047 तक इसे वैश्विक पर्वतीय विकास मॉडल के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने यह भी कहा कि हिमालय हमें धैर्य और संतुलन की सीख देता है और इन्हीं मूल्यों के साथ हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक समृद्ध और जलवायु संवेदनशील हिमाचल का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।