ऑपरेशन सिंदूर में हमने धर्मयुद्ध के सिद्धांतों का पालन किया : सेना प्रमुख

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सोलन (चैल) अक्टूबर: भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आज कहा कि भारतीय रक्षा बलों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान धर्मयुद्ध के सिद्धांतों का पालन किया।

राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल (आरएमएस), चैल की सेंटेनरी समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सेनाओं ने केवल आतंकवादी ठिकानों पर ही प्रहार किया और नागरिक अथवा सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाया।

रक्षा मंत्रालय के प्रत्यक्ष नियंत्रण में आने वाले पाँच राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूलों में से सबसे पुराने विद्यालय की उपलब्धियों की सराहना करते हुए जनरल द्विवेदी ने कहा कि इस स्कूल ने अनेक उत्कृष्ट सैन्य अधिकारियों को तैयार किया है और इसके पूर्व छात्र विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय पहचान बना चुके हैं।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस स्कूल के कैडेट ऊँचाइयों को प्राप्त करेंगे और उन्हें विद्यालय की परंपराओं और मूल्यों को कायम रखते हुए उसकी गौरवशाली विरासत को नए जोश और जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ाना चाहिए।

कार्यक्रम की शुरुआत चैल के ऐतिहासिक क्रिकेट स्टेडियम (दुनिया का सबसे ऊँचा क्रिकेट ग्राउंड) में सेंटेनरी गेट के उद्घाटन से हुई — जो विद्यालय की गौरवशाली परंपरा, सम्मान और राष्ट्र सेवा के शताब्दी प्रतीक के रूप में समर्पित किया गया।

विद्यालय के प्रिंसिपल विमल कुमार गंगवाल जैन ने इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्य अतिथि और सभी विशिष्ट अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

इसके बाद एनुअल रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया, जिसमें विद्यालय की शैक्षणिक उपलब्धियाँ, सह-पाठयक्रम गतिविधियाँ, खेलों में प्रदर्शन और सेंटेनरी वर्ष में प्राप्त की गई प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख किया गया। अपने संबोधन में उन्होंने आरएमएस चैल की सौ वर्षों की गौरवशाली यात्रा का वर्णन किया, जिसने अनुशासित, नेतृत्वक्षम और जिम्मेदार नागरिक तैयार किए हैं।

इस अवसर पर सेना प्रमुख ने आरएमएस चैल की 100वीं वर्षगांठ पर एक विशेष डाक कवर जारी किया और “द सेंचेनियल क्रॉनिकल” के प्रथम संस्करण का अनावरण किया।

समारोह में पुरस्कार वितरण का विशेष सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेट्स को सम्मानित किया गया। कक्षा 12 के कैडेट 4319 निखिल प्रताप सिंह को सर्वश्रेष्ठ सीनियर कैडेट घोषित किया गया, जबकि कक्षा 9 के कैडेट 4490 आर्यन सिंह को सर्वश्रेष्ठ जूनियर कैडेट का खिताब मिला। कक्षा 8 की कैडेट 4535 आराध्या को सर्वश्रेष्ठ गर्ल कैडेट के सम्मान से नवाज़ा गया। हाउस कैटेगरी में मिथिला हाउस को सर्वश्रेष्ठ जूनियर हाउस और उज्जैन हाउस को सर्वश्रेष्ठ सीनियर हाउस घोषित किया गया। इन पुरस्कारों ने छात्रों की मेहनत, नेतृत्व क्षमता और टीम भावना को उजागर किया, जिससे विद्यालय समुदाय में उत्साह और गर्व का माहौल बना।

मुख्य अतिथि को सम्मान स्वरूप प्रिंसिपल द्वारा स्मृति चिह्न भेंट किया गया। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने विद्यालय को उसकी 100 वर्षों की उत्कृष्ट सेवा, समर्पण और राष्ट्र निर्माण के लिए विशेष सेंटेनरी ट्रॉफी प्रदान की।

विद्यालय की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए “एक पेड़ माँ के नाम” थीम के तहत 100 पौधों के रोपण अभियान की शुरुआत मुख्य अतिथि द्वारा की गई, जो सेवा और बलिदान के 100 वर्षों को हरित श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित था।

इस भव्य शताब्दी समारोह में कई विशिष्ट अतिथियों ने भाग लिया, जिनमें ले. जनरल एम.के. कटियार (आर्मी कमांडर), मेजर जनरल प्रिंस दुग्गल, मेजर जनरल वी.के. भट्ट, ए.वी.एम. गुरचरण सिंह भोगल (सबसे सीनियर जॉर्जियन) और मनमोहन शर्मा, आईएएस, उपायुक्त सोलन शामिल थे।