शिक्षकों को टेट की अनिवार्यता के फैसले पर सरकार क्यों है खामोश : जयराम ठाकुर

0
17

आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने एक बयान में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कक्षा पहली से आठवीं तक कार्यरत शिक्षकों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास करना अनिवार्य किए जाने के फैसले से हिमाचल प्रदेश के हजारों शिक्षकों की नौकरी संकट में है, लेकिन प्रदेश सरकार अब तक इस मुद्दे पर खामोश बनी हुई है। जयराम ठाकुर ने बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 को दिए अपने आदेश में अंजुमन-ए-इशात-ए-तालीम ट्रस्ट बनाम महाराष्ट्र सरकार प्रकरण में स्पष्ट किया है कि देशभर में कार्यरत सभी शिक्षकों को टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। इस आदेश का सीधा असर उन हजारों शिक्षकों पर पड़ेगा जो शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने से पहले से सेवाएं दे रहे हैं।

इस दौरान नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस फैसले को लेकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित कई राज्यों की सरकारें सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल कर चुकी हैं, लेकिन हिमाचल सरकार अभी तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे बैठी है। उन्होंने कहा कि फैसले को आए तीन सप्ताह बीत चुके हैं, लेकिन प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार से तुरंत सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल करने की मांग की है, ताकि शिक्षक वर्ग में फैली असुरक्षा की भावना को दूर किया जा सके और उनकी नौकरी सुरक्षित रह सके। उन्होंने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह शिक्षकों की आवाज सुने और उनके भविष्य की रक्षा के लिए उचित कदम उठाए। उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी शिक्षकों की नियमितीकरण प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी गई थी, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 12,000 शिक्षकों को नियमित किया गया था, उन्होंने कहा कि अब भी सरकार को उसी तत्परता के साथ अपने शिक्षकों के हितों की रक्षा करनी चाहिए।