जाइका ने मनाया विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस

कात्सुओ मात्सुमोतो बोले .... कोरोना वायरस एक रिमाइंडर जो जुड़ा हैं मानव स्वास्थ्य से

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला।   येल विश्वविद्यालय द्वारा जारी 180 देशों के पर्यावरणीय प्रदर्शन को मापने वाले द्विवार्षिक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई सूचकांक 2020) के 12वें संस्करण में भारत 168वें पायदान पर पहुंच गया है। 2018 में भारत 177वें स्थान पर था। रैंकिंग में काफी सुधार होने के बावजूद कुछ प्रमुख मापदंडों पर भारत का स्कोर क्षेत्रीय औसत स्कोर से नीचे रहा। इन मापदंडों में पर्यावरणीय स्वास्थ्य ,वायु गुणवत्ता, पानी और स्वच्छता, भारी धातु, जैव विविधता और निवास के मुद्दों सहित पारिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं।  भारत के साथ मिलकर काम करने की जापान की प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए जापान इंटरनेशनल को.ऑपरेशन एजेंसी जाइका ने आज विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया।

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जाइका इंडिया के प्रमुख प्रतिनिधि कात्सुओ मात्सुमोतो  ने कहा, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय संगठन जोर देते हैं नोवल कोरोना वायरस वायरस महामारी एक रिमाइंडर है कि मानव स्वास्थ्य सीधे धरती के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। कोरोनावायरस को जूनोटिक माना जाता है जिसका अर्थ है कि वह जानवरों और लोगों के बीच फैलता है। प्राकृतिक क्षेत्रों में इंसानों की घुसपैठ और वन्यजीव निवास के नुकसान के परिणामस्वरूप मानव और वन्यजीवों के बीच संपर्क में वृद्धि हुई है जो संक्रमण का जोखिम है भविष्य में ऐसे प्रकोप को रोकने के लिए हमें वन्य जीवन आवास को बनाए रखना चाहिए और पारिस्थितिकी तंत्र की शक्ति को बढ़ाना चाहिए। इसके अलावा अपशिष्ट प्रबंधन, जल और स्वच्छता के माध्यम से पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और स्वच्छ ऊर्जा की पेशकश से समुदायों पर महामारी की संवेदनशीलता कम होगी। जाइका की  परियोजनाओं को गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, नागालैंड, ओडिशा, सिक्किम, राजस्थान, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा में लागू किया गया है जो इस प्रक्रिया में 18000 से अधिक संयुक्त वन प्रबंधन (जेएफएम )समितियों और 24000 स्वयं सहायता समूहों को सशक्त करेंगी। जिम्मेदार वन प्रबंधन टिकाऊ पर्यावरण समाधान विकसित करने में मदद करेगा, जिससे प्राकृतिक आपदाओं को कम किया जा सकेगा और इस तरह के जोखिमों को कम किया जा सकेगा। हमें उम्मीद है कि 2030 तक जाइका अपनी परियोजनाओं के तहत वृक्षारोपण और उत्थान गतिविधियों के माध्यम से 3 मिलियन हेक्टेयर से अधिक एरिया को कवर कर लेगा।