डे स्पेशल: भारत विश्व की आज चौथी सबसे बड़ी सैन्य ताकत है और आजादी के बाद भारत को कई मौकों पर युद्ध का सामना भी करना पड़ा जहां भारतीय सेना के जवानों ने अदम्य साहस और पराक्रम के ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए जो भारत के आने वाले भविष्य में भी भारत वासियों में गर्व और साहस भर देने वाले साबित होंगे। और डे-स्पेशल में आज बात करेंगे उस वॉर मेमोरियल की जिसने कई वर्षों के बाद उन सैनिकों को सम्मान दिया जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया।
प्रधानमंत्री ने 25 फरवरी 2019 को राष्ट्र की ओर से वीर सैनिकों को दिया युद्ध स्मारक
वर्ष 2019, 25 फरवरी का दिन था और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र की ओर से आजादी के बाद देश के लिए कुर्बान होने वाले सैनिकों के सम्मान में एक युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया गया मगर इस को लेकर सरकार की ओर से 2015 में इसके बनाए जाने को लेकर प्रस्ताव पारित किया जा चुका था। दिल्ली राजपथ के सामने इंडिया गेट से कुछ ही दूरी पर देश को युद्ध स्मारक मिला जिसमें आजादी के बाद पहले 1947 1962 1965 और 1971 के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए जवानों को उनकी वीरता और साहस के लिए समान दिया गया
आखिर क्या खास है दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में
कुछ रोज पहले अमर जवान ज्योति का विलय राष्ट्रीय युद्ध स्मारक स्थित ज्योति में कर दिया गया इस घटना ने इस नव राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के महत्व को कई गुना बढ़ा दिया मगर यह सिर्फ इसलिए खास नहीं। इस युद्ध स्मारक में कई ऐसी खास बातें हैं जो आपको भी जाननी चाहिए
मध्य में साहस को दिखाता शीर्ष पर राष्ट्रीय चिन्ह लगे हुए ऊंचा स्तंभ और चारों ओर से गोल चक्रों से बना हुआ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक अपने आप में अद्भुत प्रतीक है। स्मारक के मध्य में लगा चकोर स्तंभ जिस पर अमर जवान अंकित है के ठीक नीचे है अमिट ज्वाला जो आजादी के बाद देश के लिए लड़ने और वीरगति को प्राप्त होने वाले लगभग 60,000 जवानों के प्रति एक सम्मान है
इसके अलावा स्तंभ के चारों ओर जो चक्र बने हैं उन पर स्वर्ण अक्षरों में वीरगति को प्राप्त होने वाले जवानों के नाम भी अंकित हैं। साहस के नए कीर्तिमान स्थापित करने वाले परमवीर चक्र विजेता सैनिकों के ताम्र चित्र भी इस युद्ध स्मारक पर लगाए गए हैं।
क्यों बनाया गया यह वॉर मेमोरियल, आखिर क्या थी आवश्यकता
आप में से ज्यादातर लोगों ने इंडिया गेट के बारे में सुना होगा दरअसल इंडिया गेट भी एक तरह का वॉर मेमोरियल है जो लुटियंस दिल्ली के निर्माण के वक्त तब के ब्रिटिश शासकों की ओर से अंग्रेजों की तरफ से लड़े भारतीयों के सम्मान में बनाया गया था जिसमें उन सिपाहियों के नाम भी अंकित है जो जो विश्व युद्ध में अंग्रेजों की ओर से लड़े और वीरगति को प्राप्त हो गए। इसके बाद 1971 की लड़ाई के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इंडिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति की स्थापना की मगर आजादी के बाद भारत कितने ही युद्ध में शामिल हुआ और कितने ही सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए ऐसे में इन सैनिकों के सम्मान और उनकी वीरता के साक्ष्य के रूप में लंबे समय से एक युद्ध स्मारक की मांग चल रही थी जिसको देखते हुए वर्तमान सरकार ने 2015 में नई दिल्ली में एक युद्ध स्मारक स्थापित करने की घोषणा की जिसके बाद 25 फरवरी 2019 को भारत को दिल्ली में एक युद्ध स्मारक मिला।