आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी (कानून एवं व्यवस्था) अजीत भारद्वाज की अध्यक्षता में उपायुक्त कार्यालय के रोजना हॉल में जिला स्तरीय एन-कोर्ड समिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में मादक द्रव्यों के सेवन एवं रोकथाम के दृष्टिगत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई और उपस्थित सदस्यों से रोकथाम के लिए सुझाव भी लिए गए।
इस अवसर पर अजीत भारद्वाज ने कहा कि इस वित वर्ष के दौरान अभी तक जिला में नारकोटिक्स के 373 मामले दर्ज किए जा चुके है जिसमें 237 मामले चिट्टे के शामिल हैं और 596 संदिग्ध मुल्जिमों से पूछताछ की गई है। उन्होंने कहा कि शराब, तम्बाकू, बीड़ी-सिगरेट, गुटखा, भांग, कोकिन, चरस, गांजा इत्यादि के साथ-साथ अधिकतर युवा चिट्टे व सूंघने वाले नशे का सेवन कर रहे हैं जो सबसे ज्यादा घातक नशा है।
उन्होंने कहा कि ड्रग सप्लायर स्कूलों, महाविद्यालयों तथा विशवविद्यालय के बच्चों को निशाना बनाकर उन्हें नशा सप्लाई कर रहे हैं जिसकी रोकथाम के लिए पुलिस विभाग को निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए शिक्षा के साथ-साथ जिम, योग, और खेल गतिविधियों की ओर प्रेरित करना आवश्यक है।
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उन्होंने उपस्थित समिति सदस्यों एवं अन्य सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों से भी आह्वान किया कि वह नशे की रोकथाम के लिए पुलिस विभाग के सहयोग से सभी शैक्षणिक संस्थानों एवं सार्वजनिक स्थलों में स्पेशल ड्राइव चलाकर नशे के विरूद्ध जागरूकता अभियान चलाएं ताकि जिन व्यक्तियों, विशेषकर वह युवा जिन्हें नशे की लत लग गई है, उन्हें छुटकारा दिलाया जा सके। उन्होंने आम जनमानस से ड्रग की रोकथाम एवं जागरूकता के लिए तैयार की गई ड्रग्स एप्प भी अपने-अपने मोबाइल में डाउनलोड करने का आह्वान किया।
अजित भारद्वाज ने कहा कि जिला में वर्तमान में 15 पुनर्वास केन्द्र संचालित हैं जिनमें नशे से ग्रस्त व्यक्तियों का इलाज जारी है। उन्होंने सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों और इससे जुड़ी विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी ड्रग पॉलिसी में निहित समय अवधि के भीतर पुनर्वास केन्द्रों का दौरा कर आवशयक कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
बैठक में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनील नेगी ने कहा कि मादक द्रव्यों की रोकथाम के लिए पुलिस विभाग सख्ती से कार्यवाही कर रहा है। उन्होंने सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों से आहवान किया कि यदि ड्रग सप्लायर से सबंधी काई भी सूचना हो तो वह पुलिस विभाग के साथ शेयर कर सकते हैं, पुलिस विभाग तुरन्त कार्यवाही करेगा और सूचना गुप्त रखी जाएगी।