मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार गांव-गांव में जगाई जा रही है प्राकृतिक खेती की अलख

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों 

हमीरपुर । हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने के लिए संकल्पित मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रयास सराहनीय परिणाम लाने लगे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार जिला हमीरपुर के गांव-गांव में आतमा परियोजना के माध्यम से प्राकृतिक खेती की अलख जगाई जा रही है और किसानों को इससे जुड़ने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जा रहा है। अभी तक जिला में 20 हजार से अधिक किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं।

 

प्राकृतिक खेती आरंभ करने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी और इस विधि से तैयार फसलों के लिए उच्च दाम निर्धारित किए जाने से किसानों को डबल फायदा हो रहा है। प्राकृतिक खेती से वे जहां स्वयं के लिए सुरक्षित खाद्यान्न पैदा कर रहे हैं, वहीं इन खाद्यान्नों को उच्चतम दाम मिलने से अच्छी आय भी अर्जित कर रहे हैं। उनकी खेती की लागत लगभग शून्य हो गई है और जमीन की उर्वरा शक्ति भी अच्छी होने लगी है।

 

प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की के लिए विशेष रूप से 40 रुपये प्रति किलोग्राम, गेहूं के लिए 60 रुपये और हल्दी के लिए 90 रुपये प्रति किलोग्राम दाम निर्धारित किए हैं। मुख्यमंत्री की इस विशेष पहल की केंद्र सरकार ने भी भरपूर सराहना की है और इस कदम को देश के अन्य राज्यों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बताया है।

 

कुछ माह पूर्व समाप्त हुए रबी सीजन में जिला हमीरपुर के किसानों से 96 क्विंटल से अधिक गेहूं खरीदी गई जोकि प्राकृतिक खेती से तैयार की गई थी। इसकी लगभग 6 लाख रुपये की सब्सिडी सीधे किसानों के बैंक खातों में हस्तांतरित की जा रही है। जिला में 9 क्विंटल कच्ची हल्दी भी 90 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदी गई। जबकि, पिछले खरीफ सीजन में 53 क्विंटल मक्की भी खरीदी गई, जिसकी सब्सिडी सीधे किसानों के बैंक खातों में हस्तांतरित कर दी गई।

 

आतमा परियोजना हमीरपुर के परियोजना निदेशक डॉ. नितिन शर्मा ने बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को देसी गाय की खरीद पर 25 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है। इसके अलावा पांच हजार रुपये की परिवहन सब्सिडी तथा पशु मंडी की दो हजार रुपये तक की फीस की अदायगी भी परियोजना के तहत की जाती है। गौशाला के फर्श को पक्का करने तथा गोमूत्र एकत्रित करने की व्यवस्था के लिए आठ हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है। प्राकृतिक खेती के लिए जरूरी सामग्री तैयार करने तथा ड्रम इत्यादि के लिए भी 2250 रुपये तक सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।

 

प्रदेश सरकार की ओर से मिलने वाली इन सुविधाओं के परिणामस्वरूप जिला हमीरपुर के किसान अब प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होने लगे हैं।
नादौन उपमंडल की ग्राम पंचायत अमलैहड़ की शकुंतला देवी और सुषमा देवी, आतमा परियोजना से जुड़े धनेटा क्षेत्र के सुनील दत्त और अन्य किसानों का कहना है कि प्राकृतिक खेती उनके लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। इससे जहां उनकी खेती की लागत कम हुई है, वहीं उनकी फसलों को काफी अच्छे दाम भी मिल रहे हैं तथा उनका खान-पान भी जहरमुक्त हुआ है।