हिमाचल प्रदेश में बागवानी का स्वर्णिम वर्ष 2025, सेब कारोबार में 43% वृद्धि

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला। हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2025 बागवानी के क्षेत्र में स्वर्णिम वर्ष साबित हुआ है। प्राकृतिक आपदाओं, मूसलाधार बारिश और भूस्खलन जैसी गंभीर चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार ने त्वरित और प्रभावी कदम उठाकर बागवानी क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में किसान केंद्रित नीतियों और पारदर्शी प्रशासन ने बागवानी क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता दिलाई। भूस्खलन और मार्ग बंद होने के बावजूद सेब सीजन शानदार रहा और सरकार और बागवानी विभाग ने मिलकर तेजी से सड़कों की मरम्मत कर बागवानों को अपनी उपज मंडियों तक पहुंचाने में मदद की है।

हिमाचल प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड के अनुसार 3 अक्टूबर 2025 तक कुल 2.60 करोड़ सेब पेटियों का कारोबार हुआ, जो पिछले वर्ष के 1.82 करोड़ पेटियों की तुलना में 43% अधिक है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में हिमाचल के सेब की भारी मांग रही, जहां ए-ग्रेड रॉयल डिलीशियस की कीमत 2300 रुपये प्रति 20 किलो पेटी और गोल्डन डिलीशियस 1200 रुपये प्रति पेटी दर्ज की गई। मंडी मध्यस्थता योजना के तहत इस वर्ष 83,788 मीट्रिक टन सेब की रिकॉर्ड खरीद की गई, जिससे हजारों बागवानों को आर्थिक राहत मिली। जिस दौरान बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार ने बागवानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।

इसी तरह एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत हिमाचल प्रदेश को 25 करोड़ रुपये की पहली किस्त प्राप्त हुई है, जिसमें केंद्र सरकार का 22.50 करोड़ और राज्य सरकार का 2.50 करोड़ हिस्सा शामिल है। इस राशि का उपयोग किसानों को विभिन्न बागवानी घटकों जैसे क्षेत्र विस्तार, संरक्षित खेती, कोल्ड स्टोरेज और फूड प्रोसेसिंग इकाइयों के लिए वितरित किया जाएगा। बागवानी अब हिमाचल प्रदेश की आर्थिक रीढ़ और पहाड़ों की पहचान बन चुकी है, जो प्रदेश को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।