एफआईआर के आधार पर हॉस्टल से न निकालें छात्र: एसएफआई की विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला| स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) की विश्वविद्यालय इकाई ने डीन ऑफ स्टडीज़ को एक ज्ञापन सौंपकर यह मांग की है कि केवल एफआईआर दर्ज होने के आधार पर किसी भी छात्र को हॉस्टल से वंचित न किया जाए। एसएफआई ने ज्ञापन में कहा कि विश्वविद्यालय एक शैक्षणिक संस्था है, न कि न्यायालय या दंड देने का स्थल। किसी छात्र पर एफआईआर दर्ज होना मात्र जांच की प्रक्रिया की शुरुआत है, दोष सिद्ध होने का प्रमाण नहीं और ऐसे में केवल एफआईआर के आधार पर छात्रों को हॉस्टल से निकालना न केवल कानूनी बल्कि नैतिक दृष्टि से भी अनुचित है। संगठन ने तर्क दिया कि हॉस्टल छात्रों के लिए सिर्फ रहने की जगह नहीं, बल्कि उनका दूसरा घर होता है। दूरदराज़ से आने वाले विद्यार्थियों के लिए यह उनके शैक्षणिक और मानसिक विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि केवल एफआईआर दर्ज होने पर उन्हें हॉस्टल से निकाल दिया जाए, तो इसका सीधा असर उनकी पढ़ाई और मानसिक स्थिति पर पड़ेगा।

इस दौरान एसएफआई ने यह भी आरोप लगाया कि कई बार छात्रों पर राजनीतिक या व्यक्तिगत कारणों से झूठे मामले दर्ज किए जाते हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन यदि उन मामलों को आधार बनाकर दंडात्मक कार्रवाई करता है, तो यह लोकतांत्रिक और न्यायिक मूल्यों का उल्लंघन है। इस संगठन ने जोर देकर कहा कि जब तक न्यायालय किसी छात्र को दोषी नहीं ठहराता, तब तक उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई करना भारतीय संविधान के “निर्दोषता के सिद्धांत के विपरीत है। एसएफआई ने प्रशासन से अपील की है कि विश्वविद्यालय को शिक्षा, संवाद और समानता का केंद्र बनाया जाए, जहाँ सभी छात्रों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सुरक्षा और समान अवसर मिलें। इसी तरह संगठन ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने “भेदभावपूर्ण और अन्यायपूर्ण रवैया” जारी रखा, तो एसएफआई छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर व्यापक आंदोलन छेड़ेगी।