प्रदेश में एस.आईटी ‘विशेष जांच दल’ बनाए जाने के बावजूद भी लूटा जा रहा दर्जनों बागवानों को – सत्यवान पुंडीर

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साथ ही धोखाधड़ी के चलते सेब बागवानों और किसानों की सड़क छाप आढ़तियों ने तोड़ दी कमर

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। सेब आर्थिकी के रूप में विशेष पहचान रखने वाले हिमाचल प्रदेश में बागवानों के साथ कमीशन एजेंटों तथा सड़क छाप आढतियों द्वारा की जा रही ठगी के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। प्रदेश में एस.आईटी-‘विशेष जांच दल’ बनाए जाने के बावजूद भी दर्जनों बागवानों को आए दिन लूटा जा रहा है। ऐसे में प्रदेष सरकार की कार्यप्रणाली तथा सरकार के तंत्र-एपीएमसी व मार्केटिंग बोर्ड पर सवाल उठना स्वाभाविक है। क्योंकि इस प्रकार के धोखाधड़ी के मामलों को रोकने में प्रदेश सरकार नाकाम रही है।

हाल ही में जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र के 21 बागवानों ने गत 18 सितम्बर 2020 को जुब्बल थाने में तीन आढ़तियों के खिलाफ 39 लाख रुपयों की धोखाधड़ी की प्राथमिकि दर्ज करवाई है। किसानों की सालभर की गाढ़ी कमाई को इस तरह से लूटना किसान को आत्महत्या के लिए उकसाने के बराबर है। एक ओर कोरोना महामारी के चलते पूरी अर्थंव्यवस्था ही चपेट में आ गई है, उपर से सालभर बागीचों में काम करने के बाद इस प्रकार की धोखधड़ी ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है।

हिमाचल किसान सभा जो पिछले दो वर्षो से बागवानों के साथ की जा रही इस प्रकार की धोखाधड़ी के खिलाफ संड़क से विधानसभा तक लगातार आवाज उठाती आ रही है, ने हजारों बागवानों की शिकायतें एसआईटी के पास आज दर्ज करवाई हैं जिनमें से कुछ पर ही कार्यवाही हो पाई है।

इस संबंध में किसान सभा सरकार से मांग करती है कि जुब्बल थाने में दर्ज की गई 21 बागवानों की प्राथमिकि पर तुरंत प्रभाव से कड़ा संज्ञान लेते हुए तीन कमीषन एजेंटों- बिहार के गया जिला के मारनची गांव के निवासी सुचित कुमार, रोहड़ू के बिजौरी-रंटाड़ी निवासी प्रदीप केमार उर्फ पंकज रांटा तथा इसी गांव के शशि नेगी उर्फ शाही महात्मा के खिलाफ तुरंत कार्यवाही करते हुए प्रभावित बागवानों की राषि का भुगतान करवाया जाए।

इस सम्बंध में हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डाॅ कुलदीप सिंह तंवर तथा शिमला जिलाध्यक्ष एवं राज्य वित सचिव सत्यवान पुण्डीर द्वारा जारी संयुक्त ब्यान में बताया कि पिछले 5-6 वर्षों से प्रदेश के किसानों के साथ हो रही इस प्रकार की धोखाधड़ी की घटनाओं से सीख लेते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री जी को देश के प्रधानमंत्री को अवगत करवाना चाहिए था जिन्होंने देष के किसानों के लिए हाल ही में तीन बिलों को कानून का रूप दिया है। क्योंकि ये कानून भी कृषि मण्डियों को खत्म करने तथा इस प्रकार के सड़कछाप कमीषन ऐजेंटों के माध्यम से किसानों के साथ ठगी करने की छूट देते हैं। डाॅ तंवर ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि क्या केन्द्र सरकार हिमाचल के इस प्रकार की ठगी के माॅडल को पूरे देष में दोहराना चाहती है? आज किसान-बागवान मूर्ख व भाग्यवादी नहीं रह गया है, वह इसके खिलाफ सड़कों पर उतर कर संघर्ष करने को तैयार है।