विलुप्त पक्षी जुजुराना को अब मानवनिर्मित पक्षी प्रजनन केंद्र से जंगल छोड़ने का कार्य हुआ शुरू

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जंगल छोड़े गए इन पक्षियों में लगाए गए है जीपीएस सिस्टम और अन्य उपकरण

विशेषर नेगी

रामपुर/शिमला। अब हिमाचल प्रदेश के जंगलो में   विलुप्तप्राय वेस्टर्न ट्रैगोपैन यानी हिमाचल का राज्य पक्षी  जाजुराना  फिर से दिखने लगेगा। सराहन स्थित मानवनिर्मित पक्षी प्रजनन केंद्र से जाजुराना को जंगलो में छोड़ने  की  प्रक्रिया शुरू हो गई है।  वेस्टर्न ट्रेगोपेन को दुनिया की सबसे विलुप्त प्राय प्रजाति का दर्जा मिला हुआ है। आंकलन के अनुसार विश्व भर में केवल 4,500 जाजुराना ही बचे है। बेहद शर्मीला और मानव गतिविधियो से परेज करने वाले इस पक्षी का  संरक्षण और प्रजनन नहीं होने के कारण इनकी संख्या लगातार घटती जा रही है।

ट्रेगोपेन विश्व में  पांच प्रकार  के पाए जाते  हैं.लेकिन  पश्चिमी हिमालय में जो जाजुराना पाया जाता है उसे ‘वेस्टर्न ट्रेगोपेन’ कहा जाता है। मानवनिर्मित  पिंजरे में अब तक सराहन को छोड़ दुनियां में कही भी जाजुराना का सफल प्रजनन नहीं हो पाया है।  हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के सराहन स्थित 7 हजार फ़ीट की ऊंचाई पर बने  पक्षी बिहार की आवोहवा जाजुराना को बाह  गई है।  करीब तीन दशकों से जाजुराना से संवर्धन का कार्य इस केंद्र में जारी है।  आरम्भ में पिंजरे में रखे गए जाजुराना के अंडो को कुड़क मुर्गी के नीचे रख कर चूजे तैयार किये जाते रहे।  उस के बाद स्वयं जाजुराना ने अंडो पर बैठ कर सफल प्रजनन शुरू किया है। इस बार मानवनिर्मित इस पक्षी विहार में
जाजुराना की संख्या बढ़ कर 52 हो गई।  वन्य प्राणी विभाग ने फिर से इस सुंदर पक्षी को जो राज्य पक्षी भी है, जंगलो में छोड़ने की मुहीम शुरू कर दी है। कुछ समय पूर्व जाजुराना का दो परिवार यानी 6 पक्षी धारण घाटी अभ्यारण में छोडा  गया।  इस का मकसद एक तो जंगलो में जाजुराना को बढ़ाना दुसरा पक्षी के आचरण विचरण समेत विभिन्न जानकारियों को जुटाना  है। जंगल में छोड़े गए जाजुराना की मोनेटरिंग के लिए जीपीएस लगाए गए है और कैमरा ट्रेप भी।  दुसरा सेटेलाइट द्वारा डाटा फीड किया जायेगा और मोनेटरिंग की जाएगी।  ताकि भविष्य में जाजुराना के संवर्धन में सहायक हो।
डीएफओ वन्य प्राणी मंडल सराहन धर्मवीर मीणा  ने बताया सराहनपक्षी प्रजननकेंद्र  दुनिया का  एकमात्र ऐसा केंद्र है जंहा  जाजुरान  का सफ़लतपूर्वक प्रजनन  हो रहा  है। उन्होंने बताया इस बार दो परिवार यानि छह जाजुराना दारनघाटी अभ्यारण में छोड़े गए है।  उन के जंगल में रहन सहन , खान पान समेत सभी जानकारियां जुटाई जाएगी ताकि भविष्य में जाजुराना से संबंधित और अधिक ज्ञान मिले। उन्होंने बताया अब पक्षी विहार में 46 जाजुराना रह गए है।