आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में, मुख्य मंत्री द्वारा रूद्राक्ष का पौधा रोपित किया गया। साथ ही में मुख्य मंत्री की धर्मपत्नी साधना ठाकुर ने भी एक रूद्राक्ष का पौधा इस अवसर पर रोपित किया। रुद्राक्ष का पेड़ एक सदाबहार बड़ा पेड़ है जिसमें बड़ी पत्तियांॅ होती है। इसकी ऊंचाई 50-200 फीट तक होती है। रुद्राक्ष एक खास तरह के पेड़ का बीज है। ये पेड़ आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में एक खास ऊंचाई पर, खासकर हिमालय में पाए जाते हैं। ज्यादातर रुद्राक्ष के पेड़ नेपाल, बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया में पाए जाते हैं। रुद्राक्ष संस्कृत भाषा का एक यौगिक शब्द है जो रुद्र और अक्सा नामक शब्दों से मिलकर बना है। ‘‘रुद्र’’ भगवान शिव के वैदिक नामों में से एक है और ‘‘अक्सा’’ का अर्थ है ‘अश्रु की बूॅंद’, अतः इसका शाब्दिक अर्थ भगवान रुद्र (भगवान शिव) के आॅंसु से है। रुद्राक्ष हिन्दू देवता भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। रुद्राक्ष के पेड़ का भारत में औषधीय गुणों और आकर्षक फलों के लिए हिमालयी क्षेत्र में उगाया जाता है।
इस अवसर पर वन, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री राकेश पठानिया जी ने मुख्य मंत्री को तुलसी का पौधा भेंट कर इस अवसर को स्मणीय बनाया। अतिरिक्त मुख्य सचिव (फाॅरेस्ट) हिमाचल प्रदेश आर. डी. धीमन जीने मुख्य मंत्री को तुलसी का पौधा भेंट किया और प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वन बल प्रमुख) डाॅ. सविता ने भी एक तुलसी का पौधा मुख्य मंत्री की धर्मपत्नी साधना ठाकुर एवं एक तुलसी का पौधा वन मंत्री राकेश पठानिया जीको भेंट किया।
तुलसी का हिंन्दु धर्म की वैष्णव परम्परा के भीतर एक पवित्र स्थान है जिसमें भक्त पवित्र तुलसी के पौधों या पत्तियों को शामिल करके पूजा करते हैं। तुलसी की खेती धार्मिक और पारम्परिक चिकित्सा उद्देश्यों के लिए की जाती है। इसका व्यापक रूप से एक हर्बल चाय के रुप में उपयोग किया जाता है, आमतौर पर आयुर्वेद में उपयोग किया जाता है।
मुख्य मंत्री वन विभाग का calender- 2021 जिसका ध्येय हि0 प्र0 की प्राकृतिक सुन्दरता को दर्शाना है एवं ज्ंइसम ब्ंसमदकंत 2021जिसका ध्येय हि0 प्र0 की वन औषधियों की जागरूकता को बढ़ावा देना है, का विमोचन भी किया।
भारतीय बानीकि अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून, अंतराष्ट्रीय एकीकृत पर्वत विकास केन्द्र काठमांडू एवं हिमाचल प्रदेश वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से ’’राज्य त्म्क्क़् कार्य योजना’’बनाई गई है जिसका भी विमोचन किया गया। त्म्क्क़् कार्यक्रम का उद्देश्य वन कटाव और क्षरण में कमी द्वारा कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना है। यह जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के भागीदार देशों द्वारा विकसित एक तंत्र है, जो विकासशील देशों को वनाच्छादित भूमि से में कमी करने तथा कम कार्बन आधारित निवेश को प्रोत्साहन देकर सत्त विकास को प्रोत्साहित करता हैै।
कार्यक्रम वैश्विक जलवायु परिर्वतन अल्पीकरण विकल्प है जो वन-कटाव/ वन- क्षरण को कम करने तथा विकासशील देशों में वनों के स्थाई प्रबन्धन एवं कार्बन स्टा्ॅक की वृद्धि को प्रोत्सहित करता है। भारत ने वर्ष 2018 में अपनी राष्ट्रीय त्म्क्क़् कार्यनीति और राष्ट्रीय वन संदर्भ स्तर का विकास किया है। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून, अंतराष्ट्रीय एकीकृत पर्वत विकास केन्द्र काठमांडू एवं हिमाचल प्रदेश वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से ’’राज्य त्म्क्क़् कार्य योजना’’ तैयार की गई है। इन प्रयासों के अन्तर्गत राज्य त्म्क्क़् कार्य योजना (लगभग 102 करोड़ रूपये की) पांच वर्षों के लिए बनाई गई है।
साथ ही मुख्य मंत्री ने प्र0 मु0 अ0 डा. सविता द्वारा लिखी पुस्तक का भी विमोचन किया।यह पुस्तक नेतृत्व के व्यापक विषय, इसके शासन के साथ संबंध और वन विभाग में किए गए विस्तृत मामले के अघ्ययन के आधार पर एक अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। निष्कर्षों से पता चला कि वन प्रबंधन और वन विभाग के संदर्भ में नेतृत्व के लिए प्रासंगिक विभिन्न विशेषताओं में सुधार की पर्याप्त गुंजाइश है।
वन विभाग में प्रभावी नेतृत्व, तेजी से घटते जटिल और गतिशील वन संसाधानों और अन्य प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के सत्त प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है एवं सत्त विकास हेतु राष्ट्रीय और वैश्विक एजेंडा के लिए सार्थक योगदान कर सकता है। इस महत्वपूर्ण विषय को इस पुस्तक के माध्यम से डाॅ. सविता ने बड़े सजीव ढ़ग से उभारा है। इस अवसर पर मुख्य मंत्री ने डाॅ. सविता को विशेष तौर पर तथा वन विभाग को इस बहुमूल्य देन के लिए हार्दिक बधाई दी और आशा व्यक्त की कि पुस्तक की सीख पर अमल करते हुए वन विभाग नई ऊचाईयों को प्राप्त कर पाएगा।