दृष्टिबाधित विद्यार्थियों पर भारी पड़ेंगे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के नए दिशा-निर्देश, केंद्र के आदेशों की की है अवहेलना 

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हिमाचल प्रदेश राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य और उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव शिमला में पत्रकाऱ ‌वार्ता सको संबोधित करते हुए
हिमाचल प्रदेश राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य और उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव शिमला में पत्रकाऱ ‌वार्ता सको संबोधित करते हुए

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। हाल ही में प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए परीक्षा संबंधित नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश इन विद्यार्थियों के करियर पर भारी पड़ेंगे। ये बात आज हिमाचल प्रदेश राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य और उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने शिमला में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान कही।

उन्होने कहा कि ये जारी नए दिशा-निर्देश बिल्कुल भी सही नही है। उन्होंने इन नए दिशा-निर्देशों को तत्काल प्रभाव से वापिस लेने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखा है। अगर उन्हें वहां से सकारात्मक जवाब नहीं मिलता है तो वे इन बच्चों के भविष्य के लिए कोर्ट जाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि ये दिशा-निर्देश कानून की दृष्टि से अवैध हैं।

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प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन के लिए केंद्र सरकार व यूजीसी के जारी दिशा निर्देशों का खुला उल्लंघन हैं। इससे  दृष्टिबाधित एवं अन्य पात्र दिव्यांग विद्यार्थी प्रताड़ित होंगे। इनमें हाथ से लिखनेे में असमर्थ विद्यार्थियों को एक कक्षा कम पढ़ा हुआ राइटर लाने के लिए बाध्य किया जा रहा। जबकि केंद्र सरकार और यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार जब तक परीक्षा संचालक एजेंसी उम्मीदवारों को स्वयं राइटर उपलब्ध नहीं कराती तब तक वे किसी भी शैक्षणिक योग्यता केे व्यक्ति को अपना राइटर रख सकते हैं।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में जारी दिशा-निर्देशों का जब राज्य सरकार ने पालन नहीं किया था तो उन्होंने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे कि केंद्र सरकार के निर्देश माननीय के लिए राज्य सरकार बाध्य है और संबंधित दिशानिर्देश लागू किए जाएं।

केंद्र सरकार ने 2018 में अपनी गाइडलाइंस में बदलाव किया और राइटर के एक कक्षा जूनियर होने की शर्त लगा दी इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक संबंधित एजेंसी स्वयं राइटर नहीं उपलब्ध कराती है तब तक दृष्टिबाधित एवं लिखने में असमर्थ अन्य दिव्यांग विद्यार्थी किसी भी शैक्षणिक योग्यता का राइटर ला सकते हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और यूजीसी ने लगभग 2 वर्ष पूर्व इस बारे में दिशा निर्देश जारी कर दिए थे लेकिन राज्य सरकार ने उनका पालन करने की बजाए उल्लंघन किया ।

प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा की सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ही नहीं उच्च शिक्षा और प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने इन अवैध दिशा-निर्देशों को लागू कराना शुरू भी कर दिया है। उन्होंने कहा यह बड़ा गंभीर मुद्दा है कि राज्य सरकार का सामाजिक न्याय विभाग केंद्र सरकार और यूजीसी के निर्देशों का खुला उल्लंघन कर दिव्यांग विद्यार्थियों को प्रताड़ित कर रहा है।

यही नहीं केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप दृष्टिबाधित एवं लिखने में असमर्थ अन्य विद्यार्थियों को कंप्यूटर के माध्यम से या ब्रेल में परीक्षा देने की सुविधा भी उपलब्ध कराएं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और शिक्षा विभाग दिव्यांगों के प्रति अपना दायित्व निभाने में नाकाम साबित हुए हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिमला आरकेएमवी कॉलेज की चार दृष्टिबाधित छात्राएं- शालिनी, मोनिका, प्रिया और किरण के अलावा उमंग फाउंडेशन की ओर से विश्वविद्यालय की पीएचडी  की छात्राएं सवीना जहां और रेणुका देवी भी उपस्थित थीं।