आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। हिमाचल में जहां पहले सूखे ने किसानों को रुला दिया तो अब असमय बारिश व बर्फबारी ने बागवानों के सामने परेशानी खड़ी कर दी है। जहां प्रदेश के ऊपरी इलाकों में भारी बर्फबारी के कारण सभी फसलों को भारी नुकसान हुआ है तो वहीं निचले इलाकों में भारी बारिश ने अफरा तफरी का माहौल बना रखा है। प्रदेश का ये मौसम जहां एक तरफ सूखे से निपटने में मददगार साबित होगा तो वहीं दूसरी तरफ किसानों व बागवानों के लिए बहुत मुश्किलें पैदा कर दी है।
प्रदेश में इस समय सेब बहुल इलाकों में हो रही बर्फ़बारी और ओलावृष्टि ने सेब सहित विभिन्न फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। इस वक़्त प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में सेब के पौधों में फ्लावरिंग (फूल निकलना) हो रही है। अगर फूलों की सेटिंग सही से नही हो पाती है तो इसका सीधा असर सेब की पैदावार पर पड़ता है।
इस वक़्त शिमला, कुल्लू, चंबा और किन्नौर में सेब के पौधों में फ्लावरिंग की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हुई है। इससे आने वाले दिनों में सेब की उत्पादन क्षमता पर सीधा असर पड़ेगा। साथ ही ओलावृष्टि से बचाने के लिए लगाई गई नेट भी बुरी तरह टूट गई है।
शिमला के नारकंडा, खड़ापत्थर, खिड़की,चांशल, रोहडू और जुब्बल के क्षेत्रों में ताजा हिमपात होने से बागवानों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। ताजा बर्फ़बारी के कारण यातायात भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है और फिलहाल रामपुर, रोहड़ू, चौपाल, डोडरा क्वार जाने वाली सरकारी बसों की आवाजाही को रोक दिया गया है।
उधर ,भारी बारिश से सेब,खुमानी, प्लम ,मटर, टमाटर समेत गेंहू और जौ की फसलें भी पूरी तरह से तबाह हो गई है। .सेब बागीचों में जहां पहले ओलावृष्टि ने कहर बरपाया वहीं बर्फबारी ने सेब की टहनियों और फूलों को नष्ट कर दिया है।
प्रभावित क्षेत्रों के सेब बागवानों व किसानों ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि कई जिलों में बर्फबारी से हो रहे नुकसान का आंकलन किया जाए और प्रभावितों को पटवारी के आंकलन पर उचित मुआवजा दिया जाए।
कुल्लू, शिमला, किन्नौर व चंबा में बागवानों ने कहा है कि इस असमय बर्फ़बारी से न केवल उनकी फसलों को नुकसान हुआ है बल्कि कई स्थानों पर तो पौधों को भी भारी नुकसान पहुंचा है।
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