आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। कोरोनाकाल में संक्रमण से मुक्ति पाने में हिमाचल प्रदेश बाकी प्रदेशों के मुकाबले अच्छे ढंग से आगे रहा है, मगर यदि जैविक राज्य बना होता तो कोरोना को टिकने की जगह नही मिलती । जड़ी बूटियों से सम्पन्न हर्बल राज्य में प्रदूषण जंगलों की सुरक्षा अहम सवाल है इसलिए हरितक्रान्ति नियमित रूप से ध्यान रखना होगा। गुलजारी लाल नंदा फाउंडेशन के अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न नन्दा के परमशिष्य के आर अरुण ने वर्चुवल वार्ता में कहा कि राज्यों के लिए बेहतर जलनीति बनाने का समय आ चुका है। राज्य के जिले व राजधानी पानी के संकट से परेशान होना का अर्थ है जलनीति को जलनिधि बनाने की कवायद शुरू की जाए।
उन्होंने कहा कि वर्षा जल सहेजने से जलनिधि के कई विकल्प निकलेंगे । गांवों व शहरों में समय से पहले सावधान करने पंचायतों व सहभागी संस्थाओं को पुरूस्कृत करने की योजना पर गौर करे सरकार जिससे आविष्कारक तरीके सामने आ सकें। उन्होंने कहा कि घर-घर वाटिकाएं बनाने व पौधरोपण की मुहिम शुरू करें तो समस्त हिमाचल सहित भारत देश एक साल के अंदर ऑक्सीजन की कमी से मुक्ति पाने और कोरोना ही नहीं इससे भी खतरनाक बीमारी का मुकाबला करने में सफल रहेगा।
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ऐसे बनाई जाए जल निति को जल निधि:
जी एन एफ के चेयरमैन के. आर. अरुण ने कहा कि वे राज्य सरकारों को ई.मेल द्वारा आग्रह करते जा रहे है कि बारिश का पानी सबसे उत्तम औषधी है इसे जलनिधि में शामिल किया जाए वजह वर्षाजल हर साल अरबों-खरबों लीटर बरसाती पानी घरों की छतों से बहकर गलियों को रौंदता हुआ गंदी नालियों में पहुंच जाता है जिससे नुकसान होने के साथ साथ जिसको लेकर पृथ्वी का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है क्योंना हम इसे सहेजें। उपयुक्त हल यही हैकि जल संकट बन रही पेयजल की कमी को वर्षा जल संचयन (वाटर हार्वेस्टिंग) के जरिए आसानी से दूर घरों में संग्रह किया का सकता है ।
उन्होंने कहाकि घरों की छतों पर आकाश से बरसता बारिस का पानी संभालने के लिए घरों में जमीन के अंदर ही संग्रह करने, हार्वेस्टिंग प्रणाली को मुहिम बनाने और जल निति को जल निधि बनाने पर जोर देने को तरीके ईजाद होने चाहिए । नगरनिगम नगर पालिकाएं पंचायते इस काम को आसानी से रास्ते निकाल सकती हैं ।उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि यदि बरसाती पानी का सही संग्रह किया जाता है तो धरती जीव-जंतु प्यासे नहीं रहेंगे। यह कार्य तभी संभव होगा जब राज्य सरकारें विकास खंडों से गावों तक कूएं, तालाब, बावडिय़ों, की सफाई करवाने पर जोर देंगी।
नदियों में शव फेंकने पर हो पाबंदी:
भारतरत्न गुलजारी लाल नंदा जी के परम् शिष्य अरुण ने सरकारों का ध्यान केंद्रित करते हुए कहा हैकि धरती की तपन आग का गोला बनती जा रही है अर्थात हिमालय में निरन्तर ग्लेशियर पिघल रहे हैं यह गंभीर संकट है। नदियों का विषेला होना और उसकी स्वच्छता का शोषण उसे प्रदूषित करना भविष्य के लिए उचित नहीं है। जिसके लिए नदियों में कचरा व करौना काल मे शव फैंके जाने से कई राज्यों में नदियों की पवित्रता पर गहन संकट आया हैं हमारी राज्य सरकारों को ऐसे किसी भी स्थान पर शिकायत पर सख्त एक्शन लेना होगा और आने के जाने पर पाबंदी लगाना होगा।
घर-घर वाटिका बचाएगी पर्यावरण:
नन्दा फाउंडेशन व सहयोगी संस्था सोसायटी फार हेरिटेज एजुकेशन द्वारा पर्यावरण दिवस से घर-घर वाटिका बनाने के लिए जिलेवार 100 परिवारों से सीधा सम्पर्क किया है, जो 10 हजार परिवारों तक पहुंच बनाएगी। ऐसे परिवारों को चेतनामय कार्यक्रम में कहा है कि गरमी, भूक्षरण, धूल इत्यादि से बचाव करने के लिए घर के आसपास भी पौधारोपण करें। इससे पक्षियों को बसेरा भी दे सकेंगे, सुबह घर में रंग बिरंगी चिडिय़ों की मधुर आवाजें सुनने को मिलेंगी, फूल वाले पौधों से घर का माहौल मनमोहक होगा, अनेक कीट-पतंगों को आश्रय व भोजन मिल सकेगा। जल जंगल जमीन की रक्षा के लिए खास कदम उठाने, धरती को जैविक राज्य बनाने और हिमालय तक हर खाली जगह पौधारोपण करने से पर्यावरण स्वच्छ हो सकेगा।