देविंद्र सिंह
शिमला। हिमाचल में दो विधानसभा व एक संसदीय उपचुनाव होने हैं। कांग्रेस व भाजपा दोनों ही अंदरखाते चुनावों की तैयारियों में जुटी है। आज बात करेंगे मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनावों की। ये सीट भाजपा के राम स्वरूप शर्मा के रहस्मयी परिस्थितियों में मौत के बाद खाली हुई है। राम स्वरूप शर्मा 2019 में दूसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ इस सीट पर काबिज हुए थे। इस सीट पर अभी तक के रूझान कांग्रेस के पक्ष में गए हैं और कांग्रेस ने यहां सबसे ज्यादा 12 बार जीत हासिल की है। जबकि भाजपा में दिवगंत राम स्वरूप शर्मा की दो बारी मिलाकर अभी तक भाजपा को कुल पांच बार इस सीट पर सफलता मिली है। वहीं एक बार भारतीय लोकदल (1977) और एक बार वीरभद्र सिंह (1980) ने इंडियन नेशनल कांग्रेस (सोशलिस्ट) के जरिए यहां अपना परचम फहराया है।
इस बार यहां से कांग्रेस से ज्यादा चुनौती भाजपा के सामने रहेगी। एक तो तीसरी बार सीट बचाए रखने का दबाव तो ठीक उससे पहले प्रत्याशियों की भरमार भी मुश्किलें खड़ी करेंगी। इस बार देखने वाली बात होगी कि क्या इस बार फिर से इस सीट पर किसी ब्राहमण की कुंडली में राजयोग होगा या राजपूत प्रत्याशी चुनावी रण में उतरेंगे। इस सीट पर वैसे अभी तक राजपूतों का अधिपत्य रहा है। लेकिन राम स्वरूप शर्मा के बाद इस सीट पर इस बार फिर से किसी ब्राह्मण उम्मीदवार को उतारने का दबाव भी भाजपा पर रहने वाला है।
मंडी संसदीय क्षेत्र के उप चुनाव दोनों ही प्रमूलख दलों के लिए एक बड़ी चुनौती और अग्निपरीक्षा होगी। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले ये उपचुनाव विधानसभा हल्कों में दोनों दलों के लिए एक बड़ा शक्ति परीक्षण भी कहा जा सकता है। राम स्वरूप शर्मा ने भाजपा की कमान इस सीट पर उस वक्त संभाली थी जब कोई भी भाजपा का दिग्गज कांग्रेस के तात्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह के सामने लड़ने का साहस नहीं जुटा पा रहा था। राम स्वरूप शर्मा के जाने के बाद खाली हुई इस सीट पर उनके दोनों पुत्र शांति स्वरूप व कांति स्वरूप ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने की इच्छा जाहिर की है। हालांकि ये इच्छा अभी तक आधाकारिक तौर पर सामने नहीं आई है। पर सूत्रों की मानें तो अपने पिता के इस तरह असमय चले जाने के बाद उनके पुत्र चाहतेंं हैं कि उनके छोड़े काम वे पूरा करें। इन में राम स्वरूप के बेटे शांति के पास बेशक भाजपा का कोई कार्यभार न रहा हो लेकिन अपने पिता के मंडी में सारे काम वे ही संभालते आए हैं।
आने वाली उप चुनावों को ध्यान में रखते हुए आगामी 14 व 15 जून को भाजपा कोर कमेटी की एक महत्वपूर्ण बैठक प्रस्तावित है। बैठक में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, भाजपा प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना सहित भाजपा के प्रमुख नेता उपस्थित रहेंगे। मंडी संसदीय क्षेत्र में 17 विधानसभा हल्के आते हैं। भाजपा की कोर कमेटी तय करेगी कि किसे इस संसंदीय क्षेत्र से चुनावी समर में उतारना है। लेकिन ताल ठोंकने वालों की संख्या में हर दिन वृद्धि होती भाजपा के सिर में दर्द ही करने वाली है। मंडी संसदीय उपचुनाव में भाजपा के सामने मजबूत प्रत्याशियों में से जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, भाजपा प्रवक्ता अजय राणा, पूर्व मीडिया प्रभारी व सचिव प्रवीण कुमार शर्मा और ब्रिगेडियर खुशहाल हैं। इन नामं के अतिरिक्त शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर, सुंदरनगर से विधायक राकेश जम्वाल, पूर्व महिला आयोग की अध्यक्ष धनेश्वरी ठाकुर, पायल वैद्य, मिल्क पेडरेशन के अध्यक्ष निहाल चंद, मंडी में भाजपा सचिवालय देखने वाले राजेश शर्मा, महेश्वर सिंह, लेखराज राणा के अलावा मनाली नगर परिषद के अध्यक्ष चमन कपूर में से भी किसी के नाम पर सहमति बन सकती है।

मंडी संसदीय उपचुनाव के लिए भाजपा का सबसे मजबूत दावेदार सात बार के विधायक व जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह को माना जा रहा है। माना जाता है कि जिला मंडी में उनकी पकड़ मजबूत है और वे सभी चुनावी हथकंडो को जानते हैं। भाजपा की मुश्किल यह है कि वह मंडी संसदीय क्षेत्र से बाहर के हैं। करसोग मे जमीन और मनाली मे होटल होने के कारण उनकी दावेदारी को माना जा सकता है। सूत्उरों की मानें तो इस वक्त उन्होंने अपने दौरे भी तेज कर दिए हैं। महेंद्र सिंह जेपी नड्डा और मुख्यमन्त्री जयराम के करीबी माने जाते हैं। लेकिन उन्दोहें टिकट मिलने के बाद मंडी जिला को एक और उप चुनाव झेलना होगा। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार महेंद्र संसदीय उप चुनाव लड़ने के लिए तैयार तब होंगे जब उनकी राजनीतिक विरासत बेटे रजत शर्मा को सौंपने पर भाजपा राजी होगी।

अजय राणा भाजपा के हर चुनाव मे टिकट के दावेदार होते हैं भाजपा में उपाध्यक्ष पद सहित पिछले लंबे समय से संगठन के विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। वर्तमान में पीसीए मंडी के अध्यक्ष भी हैं और अनुराग ठाकुर के करीबी सहयोगियों मे से एक हैं। पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री के साथ भी उनकी काफी नजदीकियां देखी गई हैं। आजकल मुख्यमन्त्री खेमे मे माने जा रहे हैं। मध्य मंडी से होने के साथ साथ दबंग राजपूत नेता की छवि के मालिक होने के कारण राजपूत वोटरों मे भाजपा को मजबूती मिलेगी।

भाजपा का युवा चेहरा प्रवीण कुमार शर्मा किसी परिचय का मोहताज नही है। एबीवीपी की छात्र राजनीति से निकले इस युवा ने लंबे समय तक संगठन में कार्य किया है। सचिव व मीडिया प्रभारी जैसे अहम पदों पर काम करते हुए निष्ठावान व दूरदर्शी नेता की छवि बनाने मे कामयाब रहे। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के करीबी रहे इस सौम्य ब्राहमण चेहरे को आगे लाकर भाजपा ब्राह्मण वोटों पर अपनी पकड़ बनाने मे कामयाब हो सकती है। क्योंकि मंडी संसदीय क्षेत्र से मुख्यमंत्री स्वयं, महेंद्र सिंह व गोविंद ठाकुर के राजपूत होने के कारण ब्राह्मण को प्रतिनिधित्व मिल सकता है।
बिग्रेडियर खुशहाल सिंह ने कारगिल युद्ध मे भाग लेने के साथ साथ अफ्रीका मे भी भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व किया है। पिछली लोकसभा मे भी टिकट के दावेदार थे। भूमि विस्थापितों की लडाई लड़ने के लिए मोर्चे का गठन किया था और समय उस लडाई ने सरकार की नाक में दम भी कर दिया था पर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने दांव खेल कर उन्हे चेयरमैन बना दिया था जिसके बाद विस्थापितों की लड़ाई अधूरी रह गई। वर्तमान में वे हि प्र पूर्व सैनिक कॉर्पोरेशन के चेयरमैन है। उनकी पूर्व सैनिकों में पकड़ है और पहले प्रेम कुमार धूमल और अब जय राम ठाकुर की गुड बुक्स मे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं से जान पहचान में कमी उनकी एक कमजोरी है और उनकी दावेदारी में मुश्किल ला सकती है।
इसके अलावा भी भाजपा के पास बहुत से विकल्प हैं। लेकिन न सभी विकल्पों पर गौर करने से पहले भाजपा को कांग्रेस किसे उम्मीदवार के तौर पर इस सीट से उतारती है, उस पर भी नजर रखनी होगी। कांग्रेस के पास यहां सबसे सशक्त उम्मीदवार के तौर पर फिलहाल ठाकुर कौल सिंह माने जा रहे हैं। सात बार जीत हासिल करने वाले कौल सिंह का जनाधार अभी भी खत्म नहीं हुआ है। उनके अलावा यहां से पूर्व में सासंद रही प्रतिभा सिंह, विक्रमादित्य सिंह भी मजबूत व अच्छे विकल्प हैं।