हिमाचल में 11 निगम और एक बोर्ड घाटे में, दूरदराज क्षेत्रों में लोगों की सुविधा के लिए घाटे वाले उपक्रमों को चलाना जरूरीः जयराम ठाकुर

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर
आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य में 11 निगम और एक बोर्ड घाटे में है। जबकि तीन की आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार आया है। उन्होंने कहा कि दूरदराज क्षेत्रों में लोगों की सुविधा के लिए घाटे वाले उपक्रमों को चलाना भी जरूरी है।  यह जानकारी आज विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा के विधायक रमेश धवाला के जबाव में जयराम ठाकुर ने दी।

 इन्हें बंद करने का सुझाव कुछ जगह व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने कहा कि जनहित में बिजली बोर्ड और एचआरटीसी को बंद नहीं किया जा सकता। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की सुविधा के लिए कई रूट घाटे में चलाने पड़ते हैं। दुर्गम क्षेत्रों में बिजली की मेंटेनेंस करनी पड़ती है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी जैसे वर्गों के लिए भी उपक्रम बनाए गए हैं। इन्हें भी लाभ और नुकसान की दृष्टि से नहीं आंका जा सकता। कोरोना संकट में सरकार ने कई उपक्रमों की वित्तीय सहायता की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली बोर्ड को बीते तीन वर्ष में 1521 करोड़, एचआरटीसी को 1585 करोड़ और पर्यटन विकास निगम को 70 करोड़ की मदद दी गई है। उन्होंने बताया कि वन निगम, हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम और अल्पसंख्यक विकास निगम में कुछ सुधार आया है।
उन्होंने कहा कि सरप्लस स्टाफ को लेकर जानकारी जुटाने के बाद आगामी फैसला लिया जाएगा। इससे पहले ज्वालामुखी से भाजपा विधायक रमेश धवाला ने घाटे में चल रहे निगमों और बोर्डों का मामला सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि निगमों-बोर्डों में करीब चार हजार करोड़ के घाटे की बात कैग रिपोर्ट में भी सामने आई है। 70 फीसदी निगम-बोर्ड घाटे में हैं। परिवहन निगम में चालकों और परिचालकों से अधिक अफसर हैं। बिजली बोर्ड में जरूरत से अधिक चीफ इंजीनियर नियुक्त हैं। इस तरह के सरप्लस स्टाफ को अन्य उपक्रमों में भेजने के लिए नीति बनाई जानी चाहिए।