नई दिल्ली: भाजपा नेता अश्वनी उपाध्याय ने शीर्ष अदालत में एक याचिका के माध्यम से देश के 10 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदू अल्पसंख्यकों को अल्पसंख्यकों का दर्जा दिया जाने की मांग की। जिसको लेकर केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्य सरकारें भी अपने यहां की अल्पसंख्यक आबादी की पहचान कर सकती है और उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दे सकती हैं। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में कहा है कि किसी राज्य में कोई समुदाय धर्म या भाषा के आधार पर अल्पसंख्यक है तो उसे अल्पसंख्यक दर्जा दिया जा सकता है। आपको बता दें बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने शीर्ष अदालत में याचिका देकर कहा था कि देश के 10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, लेकिन वहां हिंदुओं की जगह स्थानीय बहुसंख्यक समुदायों को ही अल्पसंख्यक हितैषी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम 2004 की धारा 2 (एफ) की वैधता यह कहते हुए चुनौती दी थी कि यह केंद्र को अकूत शक्ति देती है जो ‘साफ तौर पर मनमाना, अतार्किक और आहत करने वाला है।’
देश के कुल 10 प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेशों में है हिंदू अल्पसंख्यक
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि भारत के 10 राज्यों और केंद्र शासित राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं लेकिन वे अल्पसंख्यकों के लिए बनाई गई योजनाओं का लाभ उठाने में सक्षम नहीं हैं। वैकल्पिक तौर पर निर्देश दिया जाए कि लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में रहने वाले यहूदी, बहाई और हिंदू धर्म के अनुयायी अपनी इच्छा और टीएमए पई के फैसले की भावना के तहत शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और संचालन कर सकते
हैं।
अरुणाचल में आजादी के वक्त 1% ईसाई आज मेजॉरिटी कम्युनिटी
वैसे तो देश के कई राज्यों में हिंदू माइनॉरिटी में है बात कश्मीर की हो पंजाब की या फिर पूर्व के अनेकों राज्यों में यहां अरुणाचल प्रदेश की स्थिति बेहद दिलचस्प है। आजादी के वक्त जिस अरुणाचल प्रदेश में केवल 1% ईसाई मौजूद थे आज वहां पर हिंदू अल्पसंख्यक हैं और इस आई मेजॉरिटी कम्युनिटी है ऐसे में हिंदू अपने धार्मिक संस्थानों को खोलने के लिए भी समर्थ नहीं है। ऐसे में भाजपा अनीता की मांग है कि कम से कम हिंदू समुदायों को भी अपने धार्मिक शैक्षणिक संस्थान खोलने की अनुमति मिल सके।