विरोध प्रदर्शन के साथ साल के सेब सीजन की शुरुआत, रोहड़ू से ठियोग तक विभिन्न मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे बागवान

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शिमला: जहां प्रदेश में मानसून अपने चरम पर है तो वही सेब सीजन की शुरूआत भी होने जा रही है मगर साल की शुरुआत ही शोर-शराबे और विरोध प्रदर्शनों के बीच शुरू होती दिख रही है। देश के कई हिस्सों में बागवान और बागवानी से जुड़े मोर्चे सड़क पर उतरे और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। विभिन्न मुद्दों को लेकर शिमला के ऊपरी इलाकों संयोग से लेकर रोहतक लोग सड़कों पर उतर आए और प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

प्रदेश में सेब की पैकेजिंग सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी और कृषि इनपुट पर सब्सिडी खत्म करने से नाराज लोग सड़कों पर उतर आए हैं। सेब बहुल क्षेत्र ठियोग और रोहड़ू में बड़ी संख्या में बागवान कार्टन की आसमान छू रही कीमतों का विरोध जाहिर कर रहे हैं। ठियोग में PWD रैस्ट हाउस से SDM दफ्तर तक बागवान रोष मार्च निकाला।

रोहड़ू में भी काफी संख्या में बागवानों ने सड़कों पर उतर कर रोष जाहिर किया। पैकेजिंग मैटेरियल की बढ़ती कीमतों ने 5000 करोड़ रुपए से अधिक के सेब उद्योग पर संकट खड़ा कर दिया है। कार्टन के साथ साथ खाद, बीज और दवाइयां भी महंगी हुई है। सरकार द्वारा विभिन्न कृषि इनपुट पर मिलने वाली सब्सिडी लगभग खत्म कर दी गई है। इससे बागवानी निरंतर घाटे का सौदा साबित हो रही है।

ठियोग में प्रदर्शन के दौरान राकेश सिंघा ने बताया कि निजी कंपनियों को फायदा देने की मंशा से कार्टन की कीमतों ने बागवानों की कमर तोड़कर रख दी है। ​​​​​​​मोदी सरकार ने कार्टन पर GST की दर 12 से बढ़ाकर 18 फीसदी की है। इसके बाद मोहन फाइबर की ट्रे बीते साल 5 रुपए तक मिल जाती थी। इस साल एक ट्रे के लिए 8 रुपए देने पड़ रहे हैं।

प्रति पेटी 6 से 7 ट्रे लगती है, यानी इस बार 48 से 56 रुपए प्रति पेटी और 80 रुपए की पेटी लग रही है। कार्टन, तुड़ान, ग्रेडिंग, पैकिंग, भाड़ा, सब मिलाकर 20 से 25 किलो की पेटी को मंडी तक पहुंचाने में 300 से 400 रुपए तक की लागत आ रही है। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद कार्टन और ट्रे के दाम में कभी भी इतना इजाफा एक साथ नहीं हुआ।

सत्ता पक्ष पर तीखा हमला करते राकेश सिंघा, विधायक ठियोग

वहीं इस मुद्दे को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले रोहड़ू में विभिन्न किसान और बागवान संगठनों के ने सरकार की नीतियों के विरुद्ध धरना प्रदर्शन किया। सरकार किसान-बागवानों पर टैक्स थोप कर उत्पादन लागत बढ़ा रही है और बागवानों को उत्पाद की उचित कीमत नहीं मिल रही है। इसमें मुख्य मांगें- पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले कार्टन पर GST 12 प्रतिशत से 18 प्रतिशत वृद्धि तुरन्त वापस लेने के साथ खाद, फफूंदीनाशक, कीटनाशक कार्टन, ट्रे और अन्य लागत वस्तुओं पर सब्सिडी दी जाए। इसके अलावा कश्मीर की तर्ज पर मंडी मध्यस्थता योजना योजना लागू हो।

संयुक्त किसान मंच के मांग है कि A ग्रेड के सेब के 60 रुपए, B ग्रेड के 44 रुपए और C ग्रेड के 24 रुपए किया जाए।किसान-बागवान HPMC और HIMFED में लिए गए सेब की पेमेंट की मांग कर रहे हैं। संयुक्त किसान मंच की मांग है कि प्रदेश में APMC कानून को सख्ती से लागू किया जाए। संयुक्त किसान मंच ने नीतियों के विरुद्ध 20 जुलाई को बड़ा प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।