आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। हिमाचल विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन लगातार विपक्ष के वाकआउट से क्षुब्द सत्ता पक्ष सदन में निंदा प्रस्ताव लेकर आय़ा। सत्ता पक्ष की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि ये बेहद दुखद है कि विपक्ष सदन नहीं चलने देना चाहता। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि पिछले कल विपक्ष नियम 67 के तहत चर्चा लेकर आया था जिसे सत्ता पक्ष ने मान लिया था। पूरे दिन चर्चा के बाद भी विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ। आज सुबह ही विपक्षी सदस्य मुख्यमंत्री के कमरे के बाहर बैठ गए और जब मुख्यमंत्री आए तो किसी ने बात नहीं की। ये आचरण बेहद गलत है।
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मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह ने निंदा प्रस्ताव में भाग लेते हुए कहा कि विरोध करना विपक्ष का राजनीतिक अधिकार है। लेकिन खुद भी विपक्ष को समझना होगा कि बिना बजट प्रावधान किए संस्थान खोल दिए गए जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि वे नीड बेस्ट संस्थानों की पहचान के लिए खुद बंद किए संस्थानों का दौरा करेंगे और अगर लगेगा कि जरूरी संस्थान को बंद कर दिया है तो उसे बहाल कर दिया जाएगा। लेकिन विपक्ष को ये समझना होगा कि बिना जरूरत संस्थानों को बहाल नहीं किया जाएगा।
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वहीं निंदा प्रस्ताव पर भाग लेते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष की मांग पर पिछले कल ही नियम 67 के तहत पूरे दिन की चर्चा करवाई गई थी लेकिन फिर भी आज उनका ऐसा आचरण निंदनीय है। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि विपक्ष को समझना चाहिए के ये विधानसभा है और यहां के अपने.नियम व कायदे कानून हैं। विपक्ष अपनी बात प्वाइंट आफ आर्डर के तहत भी रख सकती थी लेकिन विपक्ष बाहर सत्ता पक्ष की गैलरी से नारेबाजी करते हुए ही सदन में आयैा जो कि सरासर गलत है।
सत्ता पक्ष के सदस्य संजय रत्न ने निंदा प्रस्ताव में भाग लेते हुए कहा कि ये बेहद गलत है कि नियम 67 के तहत पूरी चर्चा के बाद भी विपक्ष दूसरे दिन भी सदन में इस तरह का व्यवहार कर रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने विधानसभा परिसर में जंजीरे व तालों के साथ प्रदर्शन किया जो कि सुरक्षा की दृष्टि से सही नही है।