शूलिनी विश्वविद्यालय में उपन्यासकार चेतना कीर ने बताया के लेखन के तीन महत्वपूर्ण घटकों के बारे में

"जड़ों की ओर वापस लौटने" के संदर्भ में साहित्यिक लेखन के बड़े कैनवास पर भी किया ध्यान केंद्रित

0
5
शूलिनी विश्वविद्यालय में उपन्यासकार चेतना कीर के साथ साहित्यिक सत्र की मेजबानी
शूलिनी विश्वविद्यालय में उपन्यासकार चेतना कीर के साथ साहित्यिक सत्र की मेजबानी
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
सोलन। चित्रकुट स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स ने  डायलेक्टिकस: हिमालयन लिटरेरी फोरम के रूप में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। उपन्यासकार,कलमनिस्ट  और रचनात्मक लेखन प्रशिक्षक  चेतना कीर सत्र की मुख्य वक्ता थीं। कीर ने लेखन के तीन महत्वपूर्ण घटकों के बारे में बात की: तरीके, जूनून  और रहस्यवाद, जिसका उपयोग उन्होंने अपने पात्रों को लिखते समय भी किया। लेखक ने “जड़ों की ओर वापस लौटने” के संदर्भ में साहित्यिक लेखन के बड़े कैनवास पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
चेतना ने लेखिका बनने की अपनी यात्रा पर चर्चा की, हाई स्कूल में कलमनिस्ट बनने के अपने अनुभवों को दर्शकों के साथ साझा किया और अपने लेखन में रहस्य गढ़ने के प्रति अपने गहरे आकर्षण को व्यक्त किया। सहायक  प्रोफेसर हेमन्त के. शर्मा , चित्रकूट स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स ने डायलेक्टिकस के महत्व और मिशन का परिचय दिया। उन्होंने बौद्धिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और साहित्यिक कलाओं के प्रति गहरी सराहना पैदा करने के महत्व पर भी  जोर दिया।

चित्रकूट स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स की प्रमुख डॉ. पूर्णिमा बाली ने अतिथि का परिचय दिया और सत्र की शुरुआत चित्रकोट स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स के संकाय प्रोफेसर धर और  चेतना कीर  के बीच संवाद से हुई। बातचीत रचनात्मक लेखन के दायरे में गहराई से उतरी। डॉ. सिद्धार्थ डढवाल ने वक्ताओं, आयोजकों और दर्शकों सहित सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।