आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। 63वें राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय के पाठ्यक्रम प्राध्यापकों और सदस्यों ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि आज हमारी सुरक्षा चिंताएँ क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण से कहीं आगे तक फैली हुई हैं और इसमें अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, ऊर्जा सुरक्षा एवं साइबर सुरक्षा सहित कल्याण के अन्य आयाम भी शामिल हैं। सशस्त्र बलों की भूमिका का पारंपरिक सैन्य मामलों से परे भी विस्तार हुआ है। जटिल रक्षा और सुरक्षा परिवेश में भविष्य के संघर्षों के लिए अधिक एकीकृत बहु-राज्य और बहु-एजेंसी दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। इसलिए, एनडीसी पाठ्यक्रम भविष्य के जटिल सुरक्षा माहौल से व्यापक तरीके से निपटने के लिए सैन्य और सिविल सेवा अधिकारियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक वातावरण गतिशील है और कई चुनौतियां खड़ी करता है। तेजी से बदलते भू-राजनीतिक माहौल में किसी भी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए हमें पूरी तरह से तैयार रहने की जरूरत है। राष्ट्रीय एवं वैश्विक मुद्दों की गहरी समझ की आवश्यकता है। हमें न केवल अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करना है बल्कि साइबर युद्ध, प्रौद्योगिकी समर्थित आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी नई सुरक्षा चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना है। व्यापक शोध पर आधारित अद्यतन ज्ञान और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को लागू करने की आवश्यकता है।
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राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय पाठ्यक्रम अपनी तरह का एक अनूठा पाठ्यक्रम है जिसमें शासन, प्रौद्योगिकी, इतिहास और अर्थशास्त्र के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा और एवं रणनीति के क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि एनडीसी में सीखने के समग्र दृष्टिकोण ने चुनौतियों का सामना करने के मामले में पाठ्यक्रम के सदस्यों को समृद्ध किया है जिसमें अनुसंधान, कक्षा में चर्चा, प्रतिष्ठित वक्ताओं की अंतर्दृष्टि और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं के माध्यम से जमीनी स्तर पर प्रदर्शन शामिल है।