आढ़तियों को एसआईटी के दायरे में लाने की उठाई मांग
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश में किलो के हिसाब से सेब खरीदा जाएगा। प्रदेश सरकार ने बीते दिनों किलो के हिसाब से सेब खरीदने का फैसला लिया है। आने वाले सेब सीजन में बागवान किलो के हिसाब से सेब बेच सकेंगे। सरकार के इस फैसले बागवानों को बड़ी राहत मिली है वही आढ़ती एसोसिएशन ने भी इस फैसले स्वागत किया है साथ ही सरकार से प्रदेश के बाहर इन्हीं नियमों शर्तों को लागू करने की मांग भी की है। रविवार को शिमला के फागु में प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन द्वारा बैठक का आयोजन किया गया जहा प्रदेश भर से एसोसिएशन के सदस्य मौजूद रहे। बैठक में आढ़तियों को आ रही समस्याओं को मुख्यमंत्री के समक्ष रखने का फैसला लिया गया। साथ ही आढ़तियों को एसआईटी के दायरे में लाने के साथ मंडियों के विस्तार करने की मांग सरकार के समक्ष उठाएंगे।
आढ़ती एसोसिएशन हिमाचल महासंघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि किलो के हिसाब से सेब खरीदने का सरकार का फैसला स्वागत योग्य है। इससे बागवानों को फायदा होगा। सरकार ने 24 किलो का वेट निर्धारित किया है। और बागवानों से भी अपील है कि वे 24 किलो की पैकिंग लेकर सेब मंडियों में सेब लाए। उन्होंने सरकार से भी ये आग्रह किया कि प्रदेश की मंडियों के अलावा बाहरी राज्यो में भी इसी शर्त को लागू किया जाए।यदि बाहरी मंडियों में शर्त नही रहेगी तो प्रदेश की मंडियों को नुकसान होगा। सरकार सेब बेचने का एक ही पैमाना तह करे।इसके अलावा सरकार द्वारा साइज के हिसाब से सेब खरीदने का पैमाना रखा है इसको लेकर भी स्तिथि सरकार स्पष्ट करे।
वही उन्होंने कहा कि कई किसान नेता ऐसे है जो अपना से हिमाचल में न बेच कर बाहरी मंडियों में बेचने जाते है जबकि उन्हें भी अपनी मंडियों में ही सेब बेचने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सेब मंडियों में जगह का काफी अभाव है और किलो के हिसाब से सेब खरीदते है तो जगह ज्यादा चाहिए। आढ़तियों को स्टोर खरीदने पढ़ते है इसके अलावा सेब खरीदने आने वाले बाहरी राज्यो के आढ़तियों की सही से वेरिफिकेशन की जाए ताकि प्रदेश के बागवान ठगी का शिकार न हो इसके अलावा अलग अलग चेनल से लाइसेंस बनते है जबकि सरकार एपीएमसी के तहत ही लाइसेंस बनाए जाएं। उन्होंने कहा कि हर साल बागवान ठगी का शिकार होते है सेब खरीदने के बाद बाहरी राज्यो के आढ़ती पैसे नही देते है इसके लिए सरकार द्वारा एसआईटी का गठन किया है जिसमे आढ़तियों को भी उसके दायरे में लाया जाए जाए।