आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश में किसानों को सब्जियों के अच्छी क्वालिटी के बीज व उर्वरक उपलब्ध करवाने में कृषि विभाग पूर्ण रूप से विफल रहा है । जबकि सूबे में कृषि व बागवानी विश्वविद्यालय के अतिरिक्त इन विभागों में सैंकड़ों विशेषज्ञ कार्य कर रहे हैं । इसके बावजूद भी राज्य के लघु एवं सीमांत किसान अनदेखी का शिकार हो रहे हैं जोकि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है ।
किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ कुलदीप तंवर ने वीरवार को जारी बयान में कहा कि हाल ही में जुन्गा क्षेत्र की बलोग पंचायत के गांव खाहल का मामला प्रकाश में आया है जहां पर एक किसान को कृषि विकास केंद्र टूटू में एक्पायरी डेट का गोभी का बीज दे दिया । जिसमें फूल न लगने के कारण किसान को करीब पांच लाख का नुकसान हो गया । इसी प्रकार कसुंपटी क्षेत्र के अनेक गांव में लक्की कंपनी का फूलगोभी बीज किसानों के लिए अनलक्की साबित हुआ । जिन किसानों ने टमाटर का रॉक स्टार बीज लगाया उन्हें फूटी कौड़ी भी हासिल नहीं हुई । कहा कि कृषि विभाग का बीज व उर्वरक की सरकारी व निजी दुकानों पर कोई नियंत्रण नहीं है जिस कारण किसानों घटिया किस्म के बीज उपलब्ध हो रहे हैं ।
कहा कि इस वर्ष मंडियों में किसानों का टमाटर, शिमला मिर्च , फ्रांसबीन इत्यादि सब्जियां बहुत कम दाम पर बिकी जिससे किसानों की दवाईयों व अन्य खर्चें भी पूरे नहीं हो सके । इसी प्रकार सेब के दाम गिरने से बागवानों की आर्थिकी भी डांवाडोल हो गई है । परंतु राज्य सरकार किसानों व बागवानों की इन समस्याओं बारे गंभीर नहीं है ।
डॉ तंवर का कहना है कि प्रदेश में केवल दो पार्टी कांग्रेस व भाजपा सरकारें सत्ता में रही है परंतु लघु एवं सीमांत किसानों की समस्याओं को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया । बताया कि राज्य में कुल 9.92 कृषक परिवार हैं जिनमें से सात लाख लघु व सीमांत किसान है जिनका सर्वाधिक शोषण होता रहा है । किसान आजीविका के रूप में सब्जियों का उत्पादन करते हैं परंतु उचित दाम न मिलने पर किसानों की दशा बेहद दयनीय हो गई है ।
डॉ. तंवर ने अपने बयान में कहा कि कृषि विभाग को बीज के टैंडर करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए ताकि अच्छी क्वालिटी का बीज किसानों को मिल सके । कहा कि प्रदेश में बीज व उर्वरक के निजी व सरकारी विक्रय केंद्र की समय समय पर जांच होनी चाहिए । जिसके लिए स्पेशल उड़न दस्ता गठित किया जाना चाहिए । इसके अलावा कृषि विशेषज्ञों को खेतों में जाकर किसानों को भौगोलिक एवं जलवायु के आधार पर उपयुक्त सब्जियों व फलों के उत्पादन बारे जानकारी दी जानी चाहिए ।
डॉ तंवर का कहना है कृषि व बागवानी विभाग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है जिस बारे सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए । बताया कि प्रदेश के 70 प्रतिशत शिक्षित युवाओं को कृषि के माध्यम से रोजगार मिल रहा है और सरकार को कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए प्रभावी पग उठाए जाने चाहिए । इसके अलावा किसानों व बागवानों के लिए विपणन व्यवस्था बेहतरीन होनी चाहिए क्योंकि मंडियों पर अभी भी रूमाल के नीचे भाव तय किए जाते हैं जोकि किसानों के साथ घोर अन्याय है ।